भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभालेगा, इसे लेकर कई दिनों से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया. विधायक दल की बैठक में मोहन यादव के नाम पर सहमति बन गई है. मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं. मोहन यादव को संघ का करीबी बताया जाता है. जानकारी के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव विधायक दल की बैठक में किया था. इस ऐलान के साथ ही सभी कयासों पर विराम लग गया है. अब सूबे की कमान मोहन यादव के हाथों में होगी.

इस अहम फैसले से पहले बीजेपी आलाकमान ने आज भोपाल में पर्यवेक्षकों की एक टीम भेजी थी. इसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, आशा लाकड़ा और के लक्ष्मण के नाम शामिल हैं.

भोपाल पहुंचने के बाद मनोहरलाल खट्टर और अन्य पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे. यहां पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले शिवराज सिंह से मुलाकात की थी. बताया जा रहा था कि खट्टर बीजेपी आलाकमान का फरमान लेकर दिल्ली से पहुंचे थे.खट्टर के भोपाल पहुंचने के बाद भी नड्डा लगातार उनके साथ संपर्क में बने हुए थे.

कौन हैं नए मुख्यमंत्री मोहन यादव

एमपी में नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में मुकाम साहिल की है। छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले मोहन यादव बीजेपी के स्थापित नेता हैं। उज्जैन संभाग के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होती है।

डॉ. मोहन यादव ने माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। पार्टी में कई पदों पर रहने के बाद सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला। कई बार वह बयानों को लेकर प्रदेश की राजनीति में चर्चा में रहे हैं। 1982 में वे माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव और 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं।

उन्होंने वर्ष 1984 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 मे विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। यही नहीं वर्ष 1988 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं।1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं।

संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई। 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवेबोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी बने। इसके बाद उन्होंने संगठन में रहकर अलग-अलग पदों पर काम किया। 2004-2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहें। 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) भी बने।

पहली बार 2013 में वह विधायक बने। 2018 में भी पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वह चुनाव जीतने में सफल रहे। 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मोहन यादव फिर से मंत्री बने।

इन विवादों से रहा है डॉ मोहन यादव का नाता

वर्ष 2020 में चुनाव आयोग ने मोहन यादव को असंयमित भाषा के लिए नोटिस दिया था। एक दिन के लिए चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही वर्ष 2021 में मोहन यादव उस समय विवाद का हिस्सा बन गए, जब उच्च शिक्षा विभाग ने एक कानून जारी किया, जिसमें कहा गया कि यदि किसी छात्र के खिलाफ आपराधिक रेकॉर्ड है तो उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कई और भी विवादित बयान दिए हैं। जिसकी वजह से पार्टी असहज हो गई थी।

गौरतलब है कि डॉ मोहन यादव उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक हैं। उनका जन्म 25 मार्च 1965 को हुआ था। पिता का नाम पूनमचंद यादव है। मोहन यादव के दो बेटे और एक बेटी हैं। मोहन यादव ने पीएचडी भी किया है। इसके साथ ही एमबीए और एलएलबी भी कर रखा है। साथ ही कारोबार और कृषि क्षेत्र से भी जुड़े हैं।

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