0 मुख्य सचिव को नागरिक संघर्ष समिति ने लिखा पत्र

रायपुर। छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि गत वर्ष 2022 में जिस प्रकार पूरे प्रदेश के लिए 31 दिसंबर की रात ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग की अनुमति अचानक दे दी गई थी वैसी अनुमति इस वर्ष ना दी जावे। क्योंकि इसकी आड़ में देर रात तक तेज आवाज से ध्वनि विस्तारक यंत्र बजाए जाते हैं और असहनीय ध्वनि प्रदूषण होता है।

2022 में अज्ञात कारणों से दी गई थी अनुमति

संघर्ष समिति का कहना है कि गत वर्ष छत्तीसगढ़ शासन, आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अचानक, अज्ञात कारणों से 30 दिसंबर 2022 को पत्र जारी कर 31 दिसंबर 2022 की रात के लिए 10 से अर्धरात्रि 12 बजे तक लाउडस्पीकर या जन उद्बोधन प्रणाली के उपयोग की अनुमति पूरे प्रदेश के लिए जारी की थी। जिसकी आड़ में देर रात तक पूरे शहर में अलग-अलग स्थानों पर होटल, पार्टी इत्यादी में ध्वनि प्रदूषण किया गया। साथ ही कई स्थानों में लॉ एंड आर्डर भी बिगड़ा।

’31 दिसम्बर कोई धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव नहीं’

समिति ने मुख्य सचिव को लिखा है कि ध्वनि (विनियमन और नियंत्रण) नियमों के तहत इस प्रकार की अनुमति सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक या किसी उत्सव के लिए दी जा सकती है। नियमों के अनुसार छूट के दिनों की संख्या और विवरण राज्य सरकार को अग्रिम रूप से अधिसूचित करना है। सामान्यतः इस प्रकार की छूट नव वर्ष चालू होते ही या चालू होने के पूर्व अधिसूचित की जानी चाहिए ना कि अचानक एक दिन पूर्व। समिति ने कहा है कि भारतीय परम्पराओं के तहत 31 दिसम्बर ना तो कोई धार्मिक ना ही सांस्कृतिक और ना ही किसी उत्सव की श्रेणी में आता है।

समिति ने पत्र में आशंका व्यक्त की है कि इस वर्ष भी 31 दिसंबर के लिए आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा छूट दी जाएगी, जिसका दुरुपयोग कर देर रात तक तेज ध्वनि में ध्वनि विस्तारक यंत्र बजाए जाएंगे। इसलिए इस वर्ष 31 दिसंबर के लिए किसी भी प्रकार की कोई भी अनुमति रात 10 बजे से अर्धरात्रि 12 बजे तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग की अनुमति न ही दी जावे तथा सुनिश्चित किया जावे की पूरे प्रदेश में किसी भी प्रकार से ध्वनि प्रदूषण न हो।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति की याचिका पर ही छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण रोकने के सख्त आदेश दिए हैं और इसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्य सचिव और जिला कलेक्टरों को सौंपी है। कोर्ट की गाइडलाइन तय हो जाने के बावजूद संघर्ष समिति को शासन-प्रशासन को यह स्मरण कराना पड़ रहा है कि पूर्व में जारी किया गया आदेश सही था या गलत।

शासन द्वारा पिछले वर्ष दी गई अनुमति :

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