रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोटवारों को दी जाने वाली सेवा भूमि बेचे जाने का मामला विधानसभा में उठा। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक द्वारिकाधीश यादव ने यह मामला उठाया तब राजस्व मंत्री ने इस तरह की गड़बड़ी के लिए क्रेता-विक्रेता को जिम्मेदार ठहराया, मगर जब विधायक ने इसमें राजस्व अमले को बचने का आरोप लगाया तब मंत्री ने कहा कि जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी
विधायक यादव ने पूछा कितनी बिकी कोटवारी जमीन
विधायक द्वारिकाधीश यादव ने पूछा कि छतीसगढ़ में कोटवारों को प्रदत्त भूमि को किस वर्ग में रखा गया है ? उन्हें किस भूमि का भूस्वामित्व प्रदान किया गया है? क्या कोटवारों को प्राप्त भूमि का विक्रय हस्तान्तरण का नियम है? यदि हां तो किस वर्ग/प्रकार की भूमि का ? क्या खल्लारी विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत कोटवारों द्वारा शासन से प्राप्त भूमि का विक्रय- हस्तान्तरण किया गया है ? यदि हां, तो संख्या व रकबा बतायें?
‘शासकीय भूमि’ है कोटवारों की जमीन
राजस्व मंत्री ने टंकराम वर्मा ने बताया कि प्रदेश में कोटवारों को प्रदत्त भूमि को सेवा भूमि (शासकीय भूमि) वर्ग में रखा गया है। कोटवारों को सेवा भूमि का भूमि स्वामित्व प्रदान नहीं किया गया है।
यहां बड़ी मात्रा में बेच दी गई कोटवारी जमीन
मंत्री ने बताया कि खल्लारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत तहसील बागबाहरा में कुल खसरा 123 कुल रकबा 48.26 हेक्टेयर एवं तहसील कोमाखान में कुल खसरा 33 कुल रकबा 19.93 हेक्टेयर इस प्रकार कुल खसरा 156 कुल रकबा 68.19 हेक्टेयर का विक्रय हस्तांतरण किया गया है अर्थात इसकी बिक्री कर दी गई है।
अभिलेख में “अहस्तांतरणीय” शब्द का उल्लेख
शासन से प्राप्त भूमि का अनियमित रूप से कोटवारों द्वारा विक्रय किये जाने पर छ.ग. शासन, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, मंत्रालय के पत्र क्रमांक एफ 10-11/2000/आ.प्र./पार्ट-2, दिनांक 10 मार्च 2014 एवं पत्र क्रमांक एफ 10-11/2020/7-4, दिनांक 27.02.2021 द्वारा समस्त कलेक्टरों को कोटवारों द्वारा विक्रय की गई भूमि संबंधी प्रकरणों का परीक्षण किया जाकर कोटवारों को प्रदान की गई भूमि के अभिलेखों में “अहस्तांतरणीय” शब्द लिखे जाने तथा कोटवारों द्वारा अवैधानिक रूप से विक्रय की गई भूमि के विक्रय विलेख (रजिस्ट्री) को भी व्यवहार न्यायालय में वाद दायर कर निरस्त कराये जाने का निर्देश प्रसारित किया गया है।
राजस्व अमले की भूमिका पर उठाया सवाल…
इस पर विधायक यादव ने कहा कि सरकार स्वीकार कर रही है कि सेवा भूमि बेची गई है। उन्होंने पूछा कि यह काम पटवारी आरआई और तहसीलदार की जानकारी के बिना नहीं हो सकता, तो इन लोगों पर क्या कार्यवाही होगी।
विधायक के सवाल पर मंत्री ने बताया कि भूमि वापसी के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्रेता-विक्रेता दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसमें अधिकारी- कर्मचारी पर जांच का कोई विषय नहीं रहता है। यादव ने कहा कि यदि ऐसे ही सरकार दोषियों को बचाएगी तो आगे भी ऐसा होता रहेगा। इस पर मंत्री ने कहा कि जो भी जिम्मेदार होगा उस पर कार्यवाही करेंगे।
प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर बिकी कोटवारी जमीन
ग्रामीण इलाकों में शासन द्वारा नियुक्त कोटवारों को सेवा भूमि के रूप में शासकीय भूमि इसलिए दी जाती है, ताकि वह उसका उपयोग करके परिवार का भरण-पोषण कर सके, मगर प्रदेश भर में ऐसे अनेक मामले आये हैं, जहां राजस्व अमले की मिलीभगत से कोटवारों को फर्जी तरीके से सेवा भूमि का भूस्वामी हक़ प्रदान करते हुए उनकी जमीन बिकवा दी गई है। ऐसे मामले उजागर होने के बाद कई जिलों में कार्रवाई हुई, वहीं कई जिलों में कार्रवाई अभी भी लंबित है।
राजस्व मंत्री ने कोटवारी भूमि की अफरा-तफरी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है, यह कार्यवाही केवल खल्लारी विधानसभा तक सिमित रहेगी या फिर पूरे प्रदेश में, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।