कोरबा। लंबित रोजगार प्रकरणों को निराकृत करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में खनन प्रभावित ग्रामीणों ने आज कुसमुंडा जीएम कार्यालय के अंदर कब्जा कर लिया तथा धरना में बैठ गए। इस आंदोलन में महिलाएं भारी संख्या में शामिल हुईं। आंदोलनकारी ग्रामीणों ने दोपहर का भोजन भी पंगत में बैठकर कार्यालय के अंदर ही किया।

नौकरी पाने किया कब्जा आंदोलन

दरअसल भू-विस्थापितों ने कब्जा आंदोलन शुरू किया है। छत्तीसगढ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में लंबे समय से चल रहे आंदोलन के तहत आज सुबह भूविस्थापित सबसे पहले कोयला खदान पहुंचे और उत्पादन ठप्प कर दिया। लगभग दो घंटे बाद कुसमुंडा जीएम कार्यालय में वार्ता के लिए इनका प्रतिनिधिमंडल अंदर गया। इनके बीच बातचीत हुई मगर निराकरण नहीं निकलने के बाद भूविस्थापितों ने कार्यालय के अंदर ही धरना दे दिया। इसी दौरान अंदर गलियारे में ही भू-विस्थापितों ने पंगत में बैठकर भोजन किया। ग्रामीणों और भूविस्थापितों के इस तरह प्रदर्शन से कोयला प्रबंधन और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।

शाम तक चला समझाइश का दौर

इस बीच आंदोलनकारियों को समझाने का काफी प्रयास हुआ, लेकिन वे कार्यालय छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि अब उन्हें आश्वासन नहीं, कार्यवाही चाहिए और प्रत्येक खातेदार को रोजगार मिलने तक ग्रामीण और भूविस्थापित कार्यालय के अंदर ही बैठे रहेंगे।

मुख्यालय में वार्ता पर बनी बात

यहां देर शाम तक कोयला प्रबंधन के साथ दो दौर की वार्ता विफल हो गई, आखिरकार प्रबंधन ने माना कि जिन भूविस्थापितों को नौकरी के लिए अपात्र माना गया है वे सभी पात्रता की श्रेणी में आ सकते हैं। इसके लिए 29 और 30 जनवरी को SECL के बिलासपुर मुख्यालय में वार्ता करने पर सहमति बनी। इसके बाद प्रबंधन ने वार्ता के लिए लिखित में पत्र दिया और आंदोलनकारी GM कार्यालय को छोड़ने को तैयार हुए।

नौकरी की आस में पीढ़ी गुजर गई…

गौरतलब है कि कोयला उत्खनन के लिए SECL के कुसमुंडा क्षेत्र में स्थाई नौकरी देने और बुनियादी मानवीय सुविधाओं के साथ पुनर्वास देने के वादे के साथ 40-50 वर्ष पहले हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था, लेकिन एसईसीएल ने यह वादा पूरा नहीं किया। तब से लेकर आज तक ग्रामीण रोजगार और पुनर्वास के लिए भटक रहे हैं। आलम ये है कि तब के भूविस्थापित बुजुर्ग हो गए हैं और उनके बच्चे नौकरी की बाट जोह रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर कुसमुंडा कार्यालय के सामने 800 दिनों से उनका अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है, खदान बंदी से लेकर चक्का जाम और कार्यालय बंदी तक कई आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन हर बार प्रबंधन से इन्हें आज या कल तक कार्यवाही का आश्वासन ही मिला है।

किसान सभा नेता प्रशांत झा का कहना है कि जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्से को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले पैसा और ठेका नहीं, छोटे-बड़े सभी खातेदार को स्थाई नौकरी देना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। अगर बात नहीं बनी तो आंदोलन को और उग्र किया जायेगा।

भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव, रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल आदि ने भी कहा है कि भू विस्थापितों को जमीन के बदले बिना किसी शर्त के रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

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