ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हार्ट अटैक से गंभीर हुए वाइस चांसलर को अस्पताल ले जाने के लिए छात्रों ने एक जज का कार छीन लिया। बाद में वाईस चांसलर की मौत हो गई। इधर पुलिस द्वारा आरोपी छात्रों को हिरासत में लिए जाने पर अन्य छात्र भड़क गए और एबीवीपी ने थाने में रातभर हंगामा किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली से ग्वालियर आ रही दक्षिण एक्सप्रेस के एस-2 कोच में सफर कर रहे पीके यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर रंजीत सिंह यादव (58) को दिल का दौरा पड़ गया। वाइस चांसलर की जान बचाने के लिए उनके साथ उसी कोच में सफर कर रहे कुछ छात्रों ने एंबुलेंस से लेकर रेलवे की तमाम हेल्पलाइन पर मदद मांगी, लेकिन नाकारा सिस्टम की लेटलतीफी ने कुलपति की जान ले ली।
प्रो. रणजीत सिंह यादव की मुरैना से तबीयत खराब होना शुरू हुई थी। मुरैना स्टेशन प्रबंधन ने उन्हें ग्वालियर उतरने के लिए कहा और बताया कि वहां पर स्टेशन के बाहर एम्बुलेंस तैनात मिलेगी। लोग उन्हें जब स्टेशन के बाहर लेकर पहुंचे तो वहां एम्बुलेंस नहीं थी, पर सामने हाईकोर्ट जज की कार खड़ी थी। अपने सामने दम तोड़ रहे शिक्षक को छात्र देख न सके। बताया जाता है कि जज भोपाल से लौटे थे और उसी समय उनकी ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर-2 पर आई थी। लिहाजा उसने मना कर दिया। इसको लेकर लोगों ने कार के आगे नारेबाजी की और चालक को धक्का देकर उससे रणजीत सिंह को अस्पताल ले गए। लेकिन तब तक उनकी सांस थम चुकी थी।
इस घटना के बाद पुलिस तक हाइकोर्ट जज की कार लूटने की खबर पहुंची तो पूरे शहर में सुबह करीब चार बजे नाकाबंदी कर दी गई। पुलिस ने अस्पताल घेर लिया। पुलिस को देखकर छात्र और आक्रोशित हो गए। करीब एक घंटे तक यहां हंगामा चलता रहा। हाइकोर्ट जज की कार छीनने के मामले में जीआरपी की ओर से शिकायती आवेदन दिया गया। इस मामले में पड़ाव पुलिस ने छात्रों पर लूट की एफआइआर दर्ज की है। इस मामले में आरोपी छात्र हिमांशु और सुक्रत पर केस किया गया है। इसकी जानकारी मिलते ही ABVP के छात्रों ने देर रात पड़ाव थाने का घेराव कर दिया। उनकी मांग थी कि छात्रों पर दर्ज डकैती का केस तत्काल वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि छात्रों ने कोई अपराध नहीं किया है। जो किया, वह एक जिंदगी बचाने के लिए किया है। इस पर उन्हें इनाम देने की बजाय पड़ाव पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया, यह अन्याय है।
सीएसपी इंदरगंज सर्किल अशोक सिंह जादौन ने बताया कि इस मामले में जीआरपी के सिपाही राकेश सेंगर की ओर से शिकायती आवेदन दिया गया था। इस पर अज्ञात छात्रों पर एफआइआर दर्ज की गई है। आरपीएफ और जीआरपी का फोर्स हाइकोर्ट जज की सुरक्षा में थे। इसके चलते जीआरपी की ओर से शिकायत की गई है।
कहाँ गई मानवीयता..?
जीआरपी थाने के पास दो गाड़ियां हैं, इमरजेंसी में इन्हीं से कुलपति को ले जाया जा सकता था।आरपीएफ के पास भी गाड़ी है, सूचना मिलने पर आरपीएफ स्टाफ पहुंचा भी लेकिन मूक दर्शक बना रहा। वहीं रेलवे ने इमरजेंसी में न डाक्टर को सूचना दी न ही स्टेशन पर कोई मेडिकल हेल्प दिलाई। ऐसे में रेलवे की आपातकालीन व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है।