बिलासपुर। एंटी करप्शन ब्यूरो ACB में होने वाले FIR को पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक करने के हाईकोर्ट के पिछले आदेश के बाद RTI कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा की एक और जनहित याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज FIR की जानकारी को RTI से बाहर रखने के नियम को गलत बताते हुए सामान्य प्रशासन विभाग को नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है।

ये था मामला…

दरअसल RTI कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने नवंबर 2016 को छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो से जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं दी गई। अधीक्षक RTI शाखा द्वारा उन्हें कहा गया कि सरकार द्वारा एक अगस्त 2013 इसके लिए अधिसूचना जारी की गई थी। इसलिए आवेदक को जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती। साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक अगस्त 2013 को जारी किए गए नोटिफिकेशन की प्रति संलग्न कर प्रेषित कर दी गई।

नोटिफिकेशन को दी गई चुनौती

राजकुमार मिश्रा के द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के इस नोटिफिकेशन को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डबल बेंच के समक्ष चुनौती दी गई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के द्वारा इस याचिका को स्वीकार कर राज्य सरकार से जवाब मांग गया। जवाब आने के बाद उभय पक्ष के द्वारा मामले में बहस के समय याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली के बेंच को बताया कि उसने छत्तीसगढ़ सरकार के नोटिफिकेशन को चौलेंज किया है। इस कारण यह डबल बेंच में प्रस्तुत किया गया है।

हाईकोर्ट के फैसले को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा इस तथ्य को अस्वीकार करते हुए याचिका निरस्त कर दी गई। साथ ही याचिकर्ता राजकुमार मिश्रा के ऊपर यह टिप्पणी की गई कि वो जनहित याचिकाओं के मामले में नए व्यक्ति नहीं हैं। उन्हें जनहित याचिकाओं के संबंध में अच्छी जानकारी है। इस कारण यह याचिका निरस्त की जाती है। इसके बाद आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। यहां लंबी सुनवाई के बाद आदेश सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को आदेश दिया कि वो दोबारा इस याचिका पर सुनवाई करे।

हाईकोर्ट में खुद पैरवी की याचिकाकर्ता ने

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2023 को इस मामले में फिर सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ता ने जस्टिस संजय के अग्रवाल की अगुवाई वाली डबल बेंच के सामने खुद अपनी पैरवी की। राजकुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट को बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24(4) का मानना है कि देश की कोई भी संस्था भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से इनकार नहीं कर सकती। कोर्ट ने इस मामले को विस्तृत रूप से सुना। वहीं राज्य सरकार ने पूरी सुनवाई के दौरान इस मामले का विरोध करती रही।

कोर्ट ने सुनाया एतिहासिक फैसला

राज्य सरकार ने कोर्ट ने दलील दी कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन सही है। वहीं इस संबंध में सुनवाई पूरी होने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 12 सितंबर 2023 को ऑर्डर को रिजर्व कर लिया। इसके बाद 19 अक्टूबर 2023 को ऑर्डर जारी किया। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन त्रुटि पूर्ण हैं। इसे राज्य सरकार तीन हफ्ते के भीतर सुधारे। इतना ही नहीं एंटी करप्शन ब्यूरो राजकुमार मिश्रा को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्रदान करे, यह आदेश भी दिया गया।

अब इस मसले पर जमकर चर्चा हो रही है कि यह आदेश देश में नजीर बनेगा और इसका उल्लेख दूसरे राज्यों में भी किया जाएगा। अधिकांशतया यह देखा गया है कि एंटी करप्शन ब्यूरो बहुत से बड़े अधिकारी और राजनेताओं के अपराधों को पब्लिक की नजर में लाने से बचाती हैं। इस आदेश के बाद देखना होगा कि सरकार इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट जाती है या फिर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश का पालन करती है।

Loading

error: Content is protected !!