रायपुर। छत्तीसगढ़ में वैसे तो ED जिस विभाग की भी छानबीन करेगी वहां कोई न कोई घोटाला उजागर हो ही जाएगा। मगर DMF एक ऐसा फण्ड हो गया है, जिसमें खुले तौर पर भ्रष्टाचार नजर आता है। आलम ये है कि पूर्व में लोग DMF में होने वाली करोड़ों की गड़बड़ियों का खुलासा करते रहे मगर जिलों के कलेक्टर इसमें सुधार की बजाय खुलेआम भ्रष्टाचार करते रहे। आज जब ED ने नजरें टेढ़ी की है तो ऐसे ब्यूरोक्रेट्स और विभाग प्रमुख तथा ठेकेदार और सप्लायरों के बीच खलबली मच गई है।
छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में कोयला और शराब के बाद अब ईडी ने DMF की जांच शुरू कर दी हैं। प्रदेश के 33 जिलों से DMF मद से हुए कार्यो का लेखा-जोखा ED ने मांगा हैं। ईडी से पत्र जारी करने के बाद जहां कई विभाग में पुराने रिकार्ड गायब हैं, तो वही कई विभागों में करोड़ो रूपये की हुई खरीदी को लेकर अफसरों के साथ ही सप्लायर की नींद उड़ी हुई हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ED ने प्रदेश के सभी 33 जिलों के कलेक्टर्स को पत्र जारी कर डीएमएफ मद से साल 2016 से अब तक हुए सभी कार्यो की जानकारी मांगी हैं।
हालांकि ED का ध्यान उन खनिज खनिज बाहुल्य वाले जिलों की ओर है, जहां से हर वर्ष करोडों-अरबों रुपए DMF के फण्ड में जमा होते हैं। कोरबा, रायगढ़ और ऐसे जिले जहां कोयले का भारी उत्पादन होता है, वहां अब तक पदस्थ रहे IAS अधिकारियों से पूछताछ करने की योजना ED ने तैयार कर रखी है। हालांकि इनमें से कोरबा और रायगढ़ जिले की कलेक्टर रह चुकी रानू साहू तो अब जेल की हवा खा रहीं हैं। उनके अलावा किरण कौशल, पी दयानंद और अन्य कलेक्टर भी DMF के फण्ड को अनाप-शनाप तरीके से खर्च करने के चलते चर्चा में रहे हैं। जिला पंचायत के पूर्व CEO और DMF के सहसचिव रहे नूतन कंवर ने भी दो कलेक्टरों के अधीन रहकर जमकर भ्रष्टाचार किया।
सहायक आयुक्त भी रहे चर्चा में
कोरबा जैसे जिले में तो वहां पदस्थ रहे कलेक्टरों के अलावा चंद सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास ने भी DMF में खुल्ला भ्रष्टाचार किया। इनमे श्रीकांत दुबे और माया वारियर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
दुबे के खिलाफ FIR है दर्ज
कलेक्टर पी दयानंद के अधीनस्थ रहे सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के बारे में EOW/ACB में कांग्रेस नेता अजय जायसवाल ने दस्तावेजों के साथ शिकायत की थी, जिसकी जांच के बाद श्रीकांत दुबे के खिलाफ EOW/ACB ने FIR भी दर्ज किया है मगर पिछले कुछ सालों से जांच अन्य प्रकरणों की तरह अटकी हुई है।
इसी तरह माया वारियर ने भी कोरबा में सहायक आयुक्त रहते DMF की रकम का जमकर गोलमाल किया। बता दें कि ED पूर्व में माया वारियर के यहां और हाल ही में राजनांदगांव में पदस्थ सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के यहां छापा मार चुकी है।
DMF की सर्वाधिक रकम बड़े निर्माण कार्यों, छात्रावासों के जीर्णोद्धार और सप्लाई जैसे कामों में खर्च की गई है। आलम यह था कि कोरबा जिले में शासन द्वारा अधिकृत DMF के नोडल अधिकारी के स्थान पर दूसरे अधिकारियों को नोडल बनाकर रखा गया और मनचाहा काम कराया गया।
ननकी राम की शिकायत में है दम
कोरबा जिले के रामपुर विधानसभा के भाजपा विधायक और वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकी राम कंवर DMF में भ्रष्टाचार की कई बार शिकायत कर चुके हैं। इस बार उन्होंने केंद्र सरकार से DMF में गड़बड़ियों की शिकायत की है। और बिंदुवार तथ्यों को रखते हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। बतौर विधायक ननकी राम कंवर DMF की शासी परिषद के सदस्य हैं। उनका कहना है कि परिषद की बैठकों में जो कार्य स्वीकृत हुए हैं उन्हें कराने की बजाय कलेक्टरों ने अपने स्तर पर कार्यों के लिए मनमाने तरीके से अनुमोदन किया। उन्होंने तो यह भी आरोप लगाया है कि कलेक्टर रानू साहू और संजीव झा ने बिना कार्य कराए ही DMF का वारा न्यारा किया है। उन्होंने पत्र में तमाम बातें लिखी हैं और केंद्र सरकार से कोरबा जिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में DMF से किये गए खर्च की जांच की मांग की है।
हाइकोर्ट में जनहित याचिका पर चल रही है सुनवाई
कोरबा जिले के कुछ भूविस्थापितों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा है कि 2015 से राज्य के जिलों में DMF का फण्ड आ रहा है। लगभग 12 हजार करोड़ रुपये मिल चुके हैं, मगर इसमें होने वाले खर्च का आज तक न तो सोशल ऑडिट कराया गया है और न ही CAG (महालेखाकार) से ऑडिट कराया गया है। इस याचिका के संदर्भ में कोर्ट ने राज्य शासन और संबंधित विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
बहरहाल पक्षपातपूर्ण जांच के आरोप झेल रही ED अब DMF की जांच अगर गंभीरता से करती है तो जिलों में हुए करोड़ों के घोटाले खुलते चले जायेंगे।
भाजपा विधायक ननकी राम कंवर द्वारा लिखा गया पत्र :