RICE MILL

0 भौतिक सत्यापन के दौरान ऑनलाइन रिपोर्ट से मिलान करने पर मात्रा कम पाए जाने पर 2.05 लाख क्विंटल धान जप्त

0 जप्त किए गए धान को राजसात करने और संबंधित राइस मिलर को ब्लैक लिस्टडेट करने हो रही कार्रवाई

गौरेला पेंड्रा मरवाही। कस्टम मिलिंग का चावल समय पर भारतीय खाद्य निगम और नागरिक आपूर्ति निगम में जमा नहीं करने वाले जिले के 9 राइस मिलरों के यहां औचकनिरीक्षण के दौरान भरी गड़बड़ी पाई गई। इस दौरान भौतिक सत्यापन में पाये गये धान की मात्रा का मिलान ऑनलाईन रिपोर्ट से करने पर कम पाए जाने पर कुल 2 लाख 5 हजार 229.20 क्विंटल धान की जब्ती की गई।

जांच में कम पाया गया धान

जिला खाद्य अधिकारी श्वेता अग्रवाल ने बताया कि तहसीलदार, सहकारिता विस्तार अधिकारी, खाद्य निरीक्षकों और मार्कफेड के अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा राईस मिलों में भौतिक सत्यापन किया गया। खाद्य अधिकारी ने बताया कि मेसर्स जे.पी. अग्रवाल सन्स कोल्ड स्टोरेज प्रा. लिमि. अजनी गौरेला के राइस मिल में भौतिक सत्यापन में धान और चावल की मात्रा का मिलान किया गया। ऑनलाईन रिपोर्ट के अनुसार धान एवं चावल का स्टाक नहीं पाये जाने पर 20041.20 क्विंटल धान जप्त किया गया।

इसी तरह धान एवं चावल की मात्रा का मिलान ऑनलाईन रिपोर्ट से करने पर कम पाए जाने पर मेसर्स जेपी अग्रवाल एग्रोटेक अंजनी गौरेला के राईस मिल में 18650 क्विंटल धान की जप्ती की गई। मेसर्स गर्ग फूड प्रोडक्टस गौरेला के राईस मिल में 38892 क्विंटल धान, मेसर्स मां नर्मदा एग्रोटेक गौरेला के राईस मिल में 33292 क्विटल धान, मेसर्स मां नर्मदा राईस प्रोडक्ट गौरेला के राईस मिल में 74210 क्विटल धान, मेसर्स श्री लक्ष्मी एग्रो इंडस्ट्रीज पेण्ड्रा के राइस मिल में 11493 किवंटल धान, मेसर्स दक्ष फूडस्ट्रीज पेण्ड्रा के राईस मिल में 2965.60 क्विंटल धान, मेसर्स शिवानी ट्रेडर्स पेण्ड्रा के राईस मिल में 640 क्विंटल धान और मेसर्स बुआजी फर्म्स प्रा. लिमिटेड पेण्ड्रा के राईस मिल में 7044.80 क्विंटल धान जप्त की गई।

कैसे होता है कस्टम मिलिंग..?

दरअसल सरकार द्वारा हर वर्ष किसानों से खरीदे जाने वाले धान की मिलिंग (कुटाई) प्रदेश भर में संचालित राइस मिलों में कराइ जाती है। इस दौरान मिलर जितना धान मिलिंग के लिए ले जाता है उतने की बैंक गारंटी विपणन विभाग में जमा करता है। वहीं प्रति क्विंटल धान के आवाज में निश्चित मात्रा में चावल राइस मिलर द्वारा सरकारी गोदामों में जमा कराया जाता है। इसे ही कस्टम मिलिंग कहा जाता है।

बड़े पैमाने पर होती है अफरा-तफरी

प्रदेश में हर वर्ष राइस मिलर्स और विपणन विभाग के अमले की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर धान और चावल की अफरा-तफरी की जाती है। पिछले वर्ष जीपीएम जिले में ही एक राइस मिलर द्वारा फर्जी बैंक गारंटी जमा कर भारी मात्रा में धान लेकर मिलिंग की गई। यह मामला उजागर होने के बाद इस मिलर पर कार्रवाई की गई। इस बार इसी जिले में राइस मिलर्स को दिए गए धान की मात्रा का भौतिक सत्यापन किये जाने पर 2 लाख क्विंटल से अधिक धान कम पाया गया। सवाल यह उठता है कि बाकी धान आखिर गया कहां?

राजसात होगा धान और मिलर होंगे ब्लैकलिस्टेड

जीपीएम जिले में धान की मात्रा में कमी पाए जाने के कारण मिल में भौतिक रूप से पाई गए धान की मात्रा को तहसीलदार गौरला एवं पेण्ड्रा द्वारा जप्ती करने कार्यवाही गई है। खाद्य अधिकारी ने बताया कि राईस मिलर्स के द्वारा धान व चावल के अभिलेख का संधारण नहीं की गई है। साथ ही राईस मिलरों के द्वारा खाद्य विभाग को मासिक विवरणी भी प्रदान नहीं की गई है। उक्त सभी संबंधित राईस मिलरों के खिलाफ छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 के खण्ड 4.6, 9 एवं 10 के प्रावधानों का उल्लंघन पाए जाने पर कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर जप्त किए गए धान को राजसात करने एवं मिलर्स को काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में दर्ज करने की कार्यवाही की जा रही है।

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