रायपुर। ED ने जिला खनिज निधि (DMF) घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में छापेमारी की। इस दौरान नकदी और बैंक बैलेंस समेत लगभग ₹1.11 करोड़ मूल्य की चल संपत्ति जब्त की है।
4 ठिकानों पर पड़े छापे
ईडी सूत्रों के अनुसार, यह मामला DMF के अधीन काम करने वाले ठेकेदारों पर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनेताओं के साथ मिलीभगत करके सार्वजनिक धन की हेराफेरी करने के आरोपों पर केंद्रित है। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई छापेमारी में दोनों राज्यों में चार स्थानों को निशाना बनाया गया।
DMF में पुलिस ने दर्ज किये हैं 3 मामले
DMF, खननकर्ताओं द्वारा वित्तपोषित एक ट्रस्ट है, जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए स्थापित किया गया है। एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज किए गए तीन मामलों के आधार पर अपनी जांच शुरू की। इन मामलों में राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनीतिक हस्तियों के साथ मिलकर कुछ DMF ठेकेदारों द्वारा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था, साथ ही डीएमएफ फंड के उपयोग में भ्रष्टाचार के दावे भी किए गए थे।
25 से 40 प्रतिशत कमीशनखोरी की गई
ईडी की जांच में कथित तौर पर पता चला कि कुछ ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनेताओं को भारी कमीशन या रिश्वत दी, जो आमतौर पर अनुबंध के मूल्य का 25 से 40 प्रतिशत तक होता है। सूत्रों का कहना है कि इन रिश्वतों के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं द्वारा समायोजन प्रविष्टियों का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी, दो संस्थाओं के बीच एक वित्तीय लेनदेन जहां एक संस्था अपने खातों में लेनदेन को रिकॉर्ड करती है ताकि दूसरे को समान राशि की नकदी और कमीशन मिल सके।
बैंक खाते फ्रीज
एजेंसी की तलाशी कुछ प्रविष्टि प्रदाताओं और उनके संरक्षकों पर केंद्रित थी, जिसमें कई आपत्तिजनक विवरण, कई नकली स्वामित्व वाली संस्थाएं और महत्वपूर्ण नकदी होल्डिंग्स का पता चला। ऑपरेशन के परिणामस्वरूप 76.50 लाख रुपये नकद जब्त किए गए और फर्जी फर्मों से संबंधित आठ बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 35 लाख रुपये जमा हैं।