रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर गृह विभाग द्वारा गौवंश व दुधारु पशुओं के अनाधिकृत परिवहन (तस्करी), वध व मांस की बिक्री आदि घटनाओं की रोकथाम तथा संलिप्त आरोपियों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के संबंध में आदेश जारी किया गया है।

इसकी जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि साय सरकार गौवंश के अवैध परिवहन पर सख्ती से निपट रही है। हमने सजा और जुर्माने का प्रावधान करके यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी इस कानून का उल्लंघन न कर सके। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा ‘छत्तीसगढ़ में अब गौ तस्करी संभव नहीं और इसके लिए हमने प्रत्येक स्तर पर जिम्मेदारी तय की है।’ उन्होंने कहा कि अवैध परिवहन पर सात साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह सिद्ध करना कि तस्करी नहीं हो रही थी, अभियुक्त पर होगा। इस अपराध को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया गया है।

अनुमति जरुरी, वाहन में लगाना होगा फ्लेक्स

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना गौवंश का परिवहन नहीं किया जा सकेगा। परिवहन के दौरान वाहन में फ्लेक्स आदि लगाना होगा। तस्करी करने पर वाहन राजसात किया जाएगा और वाहन मालिक पर भी कार्यवाही होगी। इससे अर्जित संपत्ति को चिन्हित कर कुर्क किया जाएगा।

विजय शर्मा ने कहा कि राजपत्रित अधिकारी को उक्त घटनाओं की रोकथाम और पर्यवेक्षण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। पुलिस के अधिकारी शिथिल या संलिप्त होने पर उन पर कठोर कार्यवाही होगी। आसूचना एकत्रित करना, जिले के सभी प्रकारों का अध्ययन करना और सभी आरोपियों की पुनः समीक्षा व सतत निगरानी आवश्यक होगी।

पुलिस अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यदि नियम विरुद्ध परिवहन होना पाया जाता है तो जहां से परिवहन शुरू हुआ और जहां वाहन जब्त किया गया है, उस बीच के समस्त पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारियों के सर्विस बुक में नकारात्मक टीप अंकित की जाएगी और पांच से अधिक बार नकारात्मक टीप अंकित होने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जाएगी। यदि किसी पुलिस अधिकारी-कर्मचारी की गौवंश के वध तथा गौवंश व दुधारू पशुओं की तस्करी (अवैध परिवहन) की कार्यवाही में किसी प्रकार की शिथिलता व संलिप्तता पायी जाती है, तो उनके विरुद्ध कठोर दंडात्मक और विभागीय कार्यवाही की जाएगी।

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