राजनांदगांव। तत्कालीन सहायक संचालक, मछली पालन में पदस्थ गीतांजलि गजभिये ने केज कल्चर मछली पालन हेतु स्वीकृत राशि रूपये 216.00 लाख की स्वीकृति में हितग्राहियों के कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर प्रशासन को गुमराह करते हुए अनुदान राशि का गबन कर लिया। इसकी शिकायत सही पाए जाने पर आरोपी गीतांजलि गजभिये के साथ ही फर्म मेसर्स स्टार सप्लायर, बिलासपुर, एस एस एक्वाकल्चर पथर्री, फिंगेश्वर, राजिम और एसएस एक्वाफीड झांकी, रायपुर के संचालकों के विरूद्ध अपराध दर्ज कर लिया गया है।

मुख्यालय के निर्देश पर हुई FIR

दरअसल एक कथित हितग्राही की शिकायत पर मामले की जांच हुई। इस मामले की जांच का प्रतिवेदन मिलने के बाद पुलिस में FIR राजनांदगांव के मछली पालन विभाग के वर्तमान सहायक संचालक सुदेश कुमार साहू ने दर्ज कराई है। उन्होंने लिखित में जानकारी दी है कि तत्कालीन सहायक संचालक गीतांजलि गजभिये ने नवागांव जलाशय में केज इकाई स्थापना हेतु कुल लागत राशि 270.00 लाख (दो करोड़ 70लाख रूपये) का प्रस्ताव प्रेषित किया था। जिसके बाद कार्यालय कलेक्टर के 129.60 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई और क्रियान्वयन एजेंसी मछली पालन विभाग को बनाया गया। 03 फरवरी 2021 को चार हितग्राहियों हेतु प्रति इकाई 8 केज के मान से 72 केज के लिए प्रति केज 3 लाख रूपये कुल राशि 216 लाख रूपये अनुदान राशि की कार्ययोजना तकनीकी स्वीकृति प्रदान करते हुए 86.40 लाख बजट का आबंटन दिया गया।

चयनित हितग्राहियों को जानकारी भी नहीं

इसके लिए दस हितग्राहियों ने आवेदन सम्मिलित किए, जिसमें श्रीमती सरोज मोटघरे पति भेल सिंह राजनांदगांव, सुश्री दुर्गेश नंदिनी, पिता महेन्द्र कुमार श्रीमती हेमलता रामटेके पति चंद्रहास रामटेके और भुवन लाल बागडहरिया पिता आमदार सिंह का आवेदन स्वीकृत किया गया।
विभाग के अमले द्वारा यह सारा काम फाइलों में किया गया। सच तो यह है कि हितग्राहियों को इसकी जानकारी तक नहीं है।

अनुदान राशि सप्लायरों के खाते में डाली

जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि हितग्राहियों को दी जाने वाली अनुदान राशि उनके खाते में भुगतान करने की बजाय सीधे सप्लायरों को भेज दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक स्टार सप्लायर, तालापारा, बिलासपुर को 108.00 लाख, इसी प्रकार 108.00 लाख एसएस एक्वाकल्चर को, 6 लाख एवं एसएस एक्वाफिड, झांकी अभनपुर को 102.00 लाख का भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा हितग्राहियों को 40 प्रतिशत लागत एवं परिचालन की राशि भी नहीं दी गई। यह प्रकरण 2021-22 के बीच का है।

जांच के दौरान मिली कई खामियां

राजनांदगांव के मछली पालन विभाग में हुई इस गड़बड़ी की जांच मछली पालन विभाग के संचालनालय में पदस्थ संयुक्त संचालक सुधा दास ने की। उन्होंने अपने जांच प्रतिवेदन में इस गड़बड़ी का खुलासा करते हुए अनेक खामियां गिनाई हैं। उन्होंने बिंदुवार उल्लेख करते हुए लिखा है कि इस प्रक्रिया में भंडार क्रय नियमो का पालन तो किया ही नहीं गया, साथ ही हितग्राहियों का आवेदन निर्धारित प्रारूप में नहीं होना पाया। आवेदन पत्र में वास्तविक पता का उल्लेख नहीं है, चयनित हितग्राहियों द्वारा मछली पालन केज स्थापना में 40 प्रतिशत राशि वहन करने संबंधी सहमति ली गयी किंतु कोई भी राशि नहीं लगाया गया।

निगरानी समिति ने नहीं निभाई जिम्मेदारी

इस प्रकरण में निगरानी समिति द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं किया गया। न तो केज का भौतिक सत्यापन किया गया और न ही समय-समय पर मॉनिटरींग समिति द्वारा किया गया। अनुबंध लीज 10 वर्षीय हेतु शासन के निर्धारित नियमों का पालन, लीज का निर्धारण, अनुबंध में साक्षी एवं हितग्राही का विस्तृत पता एवं अनुबंध का पंजीयन नहीं है। मात्र 50 रू. के स्टाम्प में अनुबंध निष्पादित किया गया है। संचालनालय सत्यापन आदेश के पूर्व ही केज का राशि भुगतान कर दिया गया। किसी भी देयक में हितग्राही का प्रमाण पत्र नहीं है। केज स्थापना हेतु विधिवत निविदा आमंत्रण किया जाना था, मगर सिर्फ केज में मछली पालन करने के लिए आवेदन हेतु विज्ञप्ति जारी किया गया।

नक्सल क्षेत्र में उत्थान के लिए मिली रकम की गड़बड़ी

इस घोटाले में सबसे बड़ी बात यह रही कि नक्सल क्षेत्र में उत्थान के लिए लगाए जाने वाले मद से मत्स्य पालन के नाम पर फंड इश्यू कराया गया। फंड से मत्स्य पालन न कर रकम का इस्तेमाल विभाग के अफसरों ने खुद कर लिया। इस कारनामे को अंजाम तत्कालीन सहायक संचालक और उनके स्टाफ ने दिया है। कारनामा भी बड़ी खामोशी से अंजाम दिया गया। मगर एक कथित हितग्राही भुवनलाल को 3.72 लाख रुपए के किराए के मिले नोटिस से घोटाले का भंडाफोड़ हो गया। भुवनलाल ने जब विभाग में जाकर छानबीन की तो पता चला कि भरी गड़बड़ी की गई है।

और भी हैं घोटाले…

दरअसल भुवनलाल ने जिस घोटाले की शिकायत की थी वह छुईखदान के नवागांव बांध का है, जबकि ऐसा ही एक घोटाला अंबागढ़ चौकी के मोंगरा जलाशय में हुआ है। जहां विभाग के एक रिटायर्ड ड्राइवर के बेटे राहुल ओझवा, मुस्तफा दाउदी, पाकिजा बेगम और अनिल कुमार अनिला के नाम से 72-72 लाख रुपए निकाले गए। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मुस्तफा दाउदी और पाकिजा बेगम धमतरी के रहने वाले हैं और नक्सल क्षेत्र के मद से दूसरे जिले के लोगों के नाम से रकम निकाली गई। इस मामले की जांच फिलहाल नहीं की गई है।

इस बात का पता चला है कि विभाग के जिले के अफसरों और कर्मचारियों ने मिलकर करीब 5 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। ये 5 करोड़ सिर्फ दो जलाशयों के थे। बाकी के अन्य जलाशयों में भी इसी तरह का भ्रष्टाचार किया गया है। निष्पक्षता से जांच की जाये तो दूसरे घोटालों का भी खुलासा हो सकेगा।

 

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