दुर्ग-भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की मान्यता प्राप्त यूनियन बीएमएस की साख को बड़ा धक्का तब लगा जब इस यूनियन के प्रमुख नेताओं द्वारा ठेकेदारों से वसूली किये जाने की जानकारी आम हुई। इस मामले में संगठन ने अपने स्तर पर जांच की तो एक पदाधिकारी ने खुद ही इस्तीफा दे दिया वहीं 3 अन्य नेताओं को संगठन ने निलंबित कर दिया है।

इन नेताओं पर की गई कार्रवाई

बीएमएस के महामंत्री चन्ना केशवलू की ओर से इस संबंध में शो कॉज नोटिस जारी किया गया था। इस दौरान नोटिस पाने वाले उपाध्यक्ष शारदा गुप्ता पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। इनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। वहीं, कार्यकारी अध्यक्ष रवि शंकर सिंह, उपाध्यक्ष आइपी मिश्र, संयुक्त महामंत्री हरिशंकर चतुर्वेदी निलंबित कर दिए गए हैं।

अलग से जांच के लिए कमेटी गठित

भिलाई इस्पात मज़दूर संघ (Bhilai Steel Mazdoor Sangh) के इन पदाधिकारियों पर आरोप लगा था कि इनके द्वारा बीएसपी के ठेकेदारों से वसूली की गई और यूनियन का लेटर पैड का गलत इस्तेमाल किया गया। इसको आधार बनाकर 5 पदाधिकारियों को नोटिस दी गई थी। जवाब नहीं मिलने पर महामंत्री चन्ना केशवलू ने पदाधिकारियों की बैठक की और आरोपित पदाधिकारियों को यूनियन से बाहर करने का फैसला किया गया। इस पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है।

संगठन के नियम-निर्देशों का किया गया उल्लंघन

बता दें कि नोटिस में साफ शब्दों में लिखा गया है कि पूर्व में स्पष्ट रूप से समझाइस दी गई थी कि आप किसी भी प्रकार का विज्ञप्ति अथवा लिखा-पढ़ी महामंत्री के संज्ञान में लाए बिना नहीं करेंगे। लेकिन आरोपित पदाधिकारियों ने इसका उल्लंघन किया। बार-बार की समझाइश के बाद भी समाचार पत्रों में संगठन के लेटर पैड का उपयोग बिना महामंत्री के संज्ञान में लाए दुरुपयोग किया गया।

संगठन व महामंत्री के बगैर जानकारी के रसीद बुक का इस्तेमाल कर ठेकेदारों से अवैध वसूली करना संगठन के विरुद्ध कार्य करना एवं संगठन को बदनाम करने का कार्य है। संतोषप्रद जवाब नहीं देने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।

RSS की शाखा है BMS

बता दें कि भारतीय मजदूर संघ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ा मजदूरों के क्षेत्र में काम करने वाला श्रमिक संगठन है। इसी से मान्यता प्राप्त यूनियन है भिलाई इस्पात मज़दूर संघ (Bhilai Steel Mazdoor Sangh), जो भिलाई इस्पात संयंत्र में भी मान्यता प्राप्त यूनियन है। कंपनी द्वारा इस तरह की मान्यता श्रमिकों के बीच मतदान कराने के बाद दी जाती है। RSS से जुड़े संगठन के पदाधिकारियों द्वारा इस तरह कंपनी में काम करने वाले ठेकेदारों से वसूली करना गंभीर विषय है और इससे BMS ही नहीं RSS की छवि भी धूमिल हुई है।

BSP प्रबंधन की ओर नजरें…

बहरहाल देखना यह है कि क्या इस मामले को BSP प्रबंधन भी संज्ञान में लेकर कोई कार्यवाही करता है, या फिर इस यूनियन की मान्यता किसी तरह प्रभावित होती है। क्योंकि मामले में खुद संगठन ने आगे बढ़कर कार्यवाही की है, इससे यह तय हो गया है कि ठेकेदारों से नियम विरुद्ध तरीके से जबरिया वसूली हुई है। क्या ऐसा कृत्य करने वाले संगठन को BSP प्रबंधन यूं ही हल्के में लेगा, इस पर सभी की नजरें तिकी हुई है।

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