रायपुर। शिक्षा का अधिकार कानून को लागू हुए बरसों बीत गए, मगर इस बार सरकार के संज्ञान में यह बात आयी है कि RTE से भर्ती हुए बच्चे हर वर्ष बड़ी संख्या में स्कूल छोड़ देते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने सभी जिलों में 9 सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश जारी किया है। इस कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे, वही इसमें जिले के पुलिस अधीक्षक को भी शामिल किया गया है।

RTE के तहत भर्ती के लिए प्रवेश की प्रक्रिया प्रदेश भर में शुरू हो गई है। इसी दौरान सरकार के ध्यान में यह बात लायी गई कि निजी स्कूलों में RTE के तहत प्रवेश हासिल करने वाले बच्चों के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया जाता है, इस वजह से हर वर्ष काफी संख्या में RTE वाले बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। इसे देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने कलेक्टरों से प्रायवेट स्कूलों में आरटीई से भर्ती बच्चो के ड्राप आउट को लेकर रिपोर्ट मंगाई थी। इसके बाद कलेक्टरों ने जो रिपोर्ट सरकार को भेजी हैं, वो चिंता में डालने वाली थी। आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हर साल लगभग 50% RTE के बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। पिछले सत्र 2023-24 में 48 हजार गरीब बच्चों ने आरटीई के तहत प्रायवेट स्कूलों में दाखिला लिया था। इनमें से 24 हजार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया।

कमेटी में ये होंगे सदस्य

निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में उल्लेखित के प्रभावी कियान्वयन हेतु राज्य शासन द्वारा जिला स्तरीय समिति बनाने के जो आदेश दिए गए हैं, वो इस प्रकार होगी :

1. जिला कलेक्टर, अध्यक्ष
2. पुलिस अधीक्षक, सदस्य
3. मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जिला पंचायत), सदस्य
4. आयुक्त, नगर निगम / मुख्य नगर पालिका अधिकारी, सदस्य
5. सहायक आयुक्त, आ.जा.क.वि.वि.
6. जिला समन्वयक, मिशन संचालक, समग्र शिक्षा, सदस्य
7. जिला शिक्षा अधिकारी, सदस्य सचिव
8. एक प्राचार्य, सदस्य
9. एक पालक, सदस्य

समिति को दी गई है ये जिम्मेदारी

1. जिलों में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अन्तर्गत गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में प्रवेशित विद्यार्थियों को उनकी शिक्षा पूरी होने तक विद्यालयों में बनाये रखने हेतु सतत प्रयास करना।

2. विद्यालयों में आर.टी.ई. पोर्टल में लॉटरी के माध्यम से चयनित विद्यार्थियों का प्रवेश सुनिश्चित करवाना एवं विद्यालयों में इन विद्यार्थियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न हो यह सुनिश्वित करना।

3. जिलों में संचालित सभी गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालय आर.टी.ई. पोर्टल पर पंजीकृत हो यह सुनिश्चित करना।

4. निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अन्तर्गत विद्यालयों के द्वारा विद्यार्थियों को स्कूल पाठ्यपुस्तकें, गणवेश एवं लेखन सामग्री विद्याथियों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना है। इसका पालन सुनिश्चित करायें।

5. समिति नियमित रूप से समीक्षात्मक बैठकों का त्रैमासिक आयोजन करेगी तथा विद्यालयों के सघन निरीक्षण का तंत्र विकसित कर जिले में इस योजना के सफल संचालन हेतु उत्तरदायी रहेगी।

6. सरल कं. 8 एवं 9 में अंकित सदस्य का नामांकन संबंधित जिला कलेक्टर द्वारा किया जायेगा ।

3 सालों के ड्राप आउट का आंकड़ा

आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020-21 में 10 हजार, 2021-22 में 18 हजार और 2023-24 में 24 हजार RTE के तहत प्रवेशित बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। पिछले सत्र याने 2023-24 में छत्तीसगढ के प्रायवेट स्कूलों में 48 हजार गरीब बच्चों के दाखिले हुए थे, इनमें से 24 हजार ड्रॉप आउट ले लिया। मतलब RTE के आधे बच्चे ड्राप आउट हो रहे हैं।

ड्रॉप आउट होने वाले बच्चों में रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर शामिल हैं। रायपुर में सबसे अधिक 2496 गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया।

दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग के पत्र के बाद कलेक्टरों ने प्रायवेट स्कूलों को तलब कर ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या का संकलन कराया। सरकार अगर स्कूलों में विभागीय तौर पर सत्यापन कराए तो ये आंकड़ा काफी बढ़ सकता है।

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