नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों से बड़ा खुलासा हुआ है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से पता चलता है कि अप्रैल 2018 से 2023 के बीच आठ बार ऐसे अवसर आए हैं जब बीजेपी को एक-एक दिन में एक-एक अरब रुपये या इससे भी ज्यादा चंदा चुनावी बॉन्ड्स के जरिए मिला है। एक दिन का तो आंकड़ा दो सौ करोड़ रुपये तक का है। निर्वाचन आयोग को सुप्रीम कोर्ट से 2019 में विभिन्न राजनीतिक दलों के पास से उनको चुनावी बॉन्ड्स से मिले चंदे का वो डाटा भी मिल गया है जो सुप्रीम कोर्ट को आयोग ने बिना लिफाफा खोले जस का तस दे दिया था।
इन दलों ने बताए चंदा देने वालों के नाम
अब कल ही मिला पुराना डाटा और भारतीय स्टेट बैंक से मिला डाटा दोनों मिलकर लगातार चौंका रहे हैं। इसमें मुख्य तौर पर बीजेपी, कांग्रेस के अलावा डीएमके, एआईएडीएमके और एनसीपी ने बॉन्ड्स के जरिए मिले चुनावी चंदे का खुलासा किया है। निर्वाचन आयोग के साथ वैसे तो सभी राष्ट्रीय, राज्य या क्षेत्र स्तरीय और पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने उनको चुनावी बॉन्ड्स से मिले चंदे की जानकारी साझा की है।
इन दलों में डीएमके, एआईडीएमके, आप और समाजवादी पार्टी ने प्रमुख चंदा देने वालों के नाम बताए हैं। वहीं सीपीआई (एम), सीपीआई, एनपीपी और बसपा ने साफ एलान किया है कि उनको चुनावी बॉन्ड्स के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है। सीपीआई (एम) और सीपीआई ने नैतिकता के आधार पर बॉन्ड्स के जरिए चंदा नहीं मिलने की बात कही है।
दलों ने इस तरह दिया बॉन्ड्स का ब्योरा
चुनावी बॉन्ड्स से चंदा पाने वाले अधिकांश राजनीतिक दलों ने केवल अपने द्वारा भुनाए गए बॉन्ड्स के मूल्य का ब्योरा तारीख वार दिया है। मान्यता प्राप्त 11 राजनीतिक दलों में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम यानी डीएमके, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम यानी एआइएडीएमके, एसडीएफ यानी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, जनता दल सेक्युलर यानी जेडीएस, जेकेएनसी यानी जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी यानी एमजीपी, आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी, जनता दल (यूनाइटेड) भी शामिल हैं। इसमें दानदाताओं के नाम और उनके द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए दिए गए योगदान की गई राशि भी शामिल है।
घोषणा पत्र सौंपा 519 पार्टियों ने
राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या राज्य और गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत पार्टियों में कुल 519 पार्टियों ने चुनाव आयोग को अपना घोषणा पत्र सौंपा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा उन पार्टियों में शामिल है, जिन्होंने अभी तक अपना घोषणा पत्र दाखिल नहीं किया है। फ्यूचर गेमिंग एंड सर्विसेज और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा ने चुनावी बॉन्ड्स के जरिए डीएमके को बतौर चंदा बड़ी राशि दी है। फ्यूचर गेमिंग ने ₹509 करोड़ रुपये और मेघा इंजीनियरिंग ने 105 करोड़ रुपये का चंदा डीएमके को दिया है। इस कंपनी ने सरकारी ढांचागत विकास के कई बड़े प्रोजेक्ट किए हैं। इनके अलावा अपोलो ग्रुप, इंडिया सीमेंट्स, रैमको सीमेंट्स और त्रिवेणी शीर्ष दानदाताओं में शामिल हैं।
डाटा सार्वजनिक किया चुनाव आयोग ने
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा सीलबंद कवर के तहत जमा किए गए चुनावी बांड विवरण सार्वजनिक कर दिया है। माना जा रहा है कि विवरण 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि से संबंधित हैं। इस तारीख के बाद के चुनावी बांड विवरण पिछले सप्ताह चुनाव पैनल द्वारा सार्वजनिक किए गए थे। चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के निर्देशानुसार, सीलबंद कवर में चुनावी बांड का डेटा दाखिल किया था।
आयोग ने अपने बयान में कहा, “राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे को खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था। 15 मार्च, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने सीलबंद कवर में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ physical copies वापस कर दी।’
इस लिंक से ली जा सकती है डाटा की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के 15 मार्च, 2024 के आदेश के अनुसार, वो सीलबंद डाटा भी सार्वजनिक करना था. पीठ ने रजिस्ट्री से उस डाटा की स्कैन नकल सुरक्षित रख मूल आंकड़े की प्रति आयोग को लौटा देने का आदेश दिया. निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉन्ड्स पर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डिजीटल रूप में प्राप्त डेटा को आज अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. इसे इस यूआरएल https://www.eci.gov.in/candidate-politicparty पर एक्सेस किया जा सकता है।
अप्रैल 2019 से अभी तक का डेटा
पिछले गुरुवार को, चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक जारी किए गए चुनावी बांड पर डेटा जारी किया था, यहां तक कि उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पिछली अवधि का डेटा को वापस करने के लिए कहा ताकि इसे भी सार्वजनिक किया जा सके। आयोग ने 12 अप्रैल, 2019 और 2 नवंबर, 2023 को पारित शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेशों के अनुसार 12 अप्रैल, 2019 से पहले बेचे गए और भुनाए गए चुनावी बांड का विवरण सुप्रीम कोर्ट को भेजा था।