रायपुर। राज्य की सड़कों पर लगातार हादसे हो रहे हैं। इसके लिए प्रमुख वजह सड़कों पर विचरण करने वाले आवारा पशुओं को माना जा रहा है। सड़क हादसों में आम लोगों के अलावा आवारा पशु भी मारे जा रहे हैं। इस मुद्दे पर बीते कई सालों से हाई कोर्ट बिलासपुर ने कई दिशा-निर्देश जारी किये वहीं प्रशासन की ओर से पालन करने संबंधी जवाब भी दिया गया, मगर बाद में हालात जस के तस हो गए। नेशनल हाइवे सहित प्रदेश भर की सडकों पर दिन-रात अवारा मवेशी बैठे और विचरण करते नजर आते हैं। सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं इन्हीं की वजह से हो रही हैं। इसीके मद्देनजर दायर याचिका को लेकर हाई कोर्ट ने इस बार कड़ा आदेश जारी किया है।

कोर्ट की नाराजगी की ये है वजह

छत्तीसगढ़ की सड़कों पर आवारा पशुओं के घूमने को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि कई सालों से कानून बने हैं, लेकिन उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्देश दिया। इस समिति में केंद्र और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अफसर भी शामिल रहेंगे। सड़कों पर आवारा पशुओं के विचरण से लगातार हो रहे हादसों को लेकर दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में पिछले दिनों सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि याचिका लगाने के बाद कार्रवाई की जाती है। राजेश चिकारा व संजय रजक की जनहित याचिका पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

टैगिंग से पहले मालिकों की पहचान

कोर्ट ने कहा कि समिति के तहत क्या काम किए जाएंगे, कौन कौन क्या जवाबदारी लेंगे, यह सब विस्तार से रिपोर्ट में बताया जाये। यह कमेटी इस समस्या के समाधान के लिए कार्रवाई करने के बाद इस संबंध में एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। हाई कोर्ट के इस निर्देश के बाद से ही पूरे प्रदेश में कार्यवाही का दौर शुरू हो गया है। मुख्य सचिव के निर्देश पर सभी जिलों में कमेटी बनाकर आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाने, उनके मालिक की पहचान करने, दुर्घटनाओं से बचाने मवेशियों को रेडियम लगाने और उनकी टैगिंग करने का काम शुरू कर दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 4 सितम्बर को है।

समितियों का गठन कर शुरू की कार्यवाही

बिलासपुर जिले में आवारा पशुओं को दुर्घटना से बचाने एवं उनकी पहचान के लिए रेडियम बेल्ट एवं इयर टैगिंग का कार्य निरंतर जारी है। इसके लिए पशु चिकित्सा विभाग द्वारा 10 समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों द्वारा नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे एवं अन्य मुख्य मार्गों का दैनिक भ्रमण कर अब तक हजार से भी अधिक पशुओं में रेडियम बेल्ट एवं 435 पशुओं में ईयर टैगिंग का कार्य किया जा चुका है। हाईकोर्ट के निर्देश के परिपालन में यह कार्यवाही की जा रही है।

जिले में नगर निगम बिलासपुर के द्वारा 04 कॉउ कैचर के माध्यम से रहंगी गोठान में 198, मोपका गोठान में 176, पाराघाट गोठान में 171 एवं तखतपुर गोठान में 15 इस प्रकार कुल 560 पशुओं को विस्थापित किया गया है। जिनका विभागीय अमले के द्वारा पशु चिकित्सकीय कार्य के साथ-साथ एच.एस. व बी.क्यू का टीकाकरण किया गया है।

इस तरह हो रहा है पंजीयन

अब तक भारत शासन द्वारा संचालित एनडीडीबी के इनॉफ पोर्टल में 379 पशुओं का आवारा श्रेणी में पंजीयन किया गया है। उपरोक्त पंजीकृत जप्त पशुओं में 120 नर सांड पशु है, जिन्हें निकट भविष्य में बैगा बिरहोर जनजातियों को कृषि प्रयोजन के लिये जिला प्रशासन से प्रशासकीय अनुमति पश्चात वितरित किया जाना है। इसी प्रकार लावारिस जप्त गायों को भी पशुपालन हेतु इच्छुक किसानों को मार्गों में खुला न छोड़ने के शपथ पत्र पर जिला प्रशासन से प्रशासकीय स्वीकृति के बाद वितरित किये जाने की कार्य योजना प्रस्तावित है।

हाइवे के पास खोले जायेंगे गौशाला

जिले में अनुदान प्राप्त 04 पंजीकृत गौशालाओं में कुल लगभग 800 पशु क्षमता के विरूद्ध 760 पशु रखे गये हैं, जिनमें जप्त किये जा रहे घुमन्तू पशुओं को अतिरिक्त क्षमता अनुरूप विस्थापित किया जा सकता है। इसके साथ ही जिले में नेशनल हाईवे एवं स्टेट हाईवे के पास नये गौशाला खोलने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किये जा रहे हैं, जिसमें ऐसे निजी गौशाला जिनमें न्यूनतम 50 पशु, आधा एकड़ गौशाला के नाम से भूमि तथा जल व शेड उपलब्ध होंगे, को प्राथमिकता से पंजीयन किया जायेगा।

इसी तरह राजधानी रायपुर और प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टरों द्वारा सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए आवारा पशुओं में रेडियम के पट्टे और टैग लगाने का काम किया जा रहा है। अलग-अलग समितियां बनाकर यह काम जिलों के प्रमुख सड़को के अलावा अन्य मार्गों पर भी किया जा रहा है। हालांकि इस तरह के अभियान के चलते सारे कांजी हाउस और गौशाला भर गए हैं और मवेशियों के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है।

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