रायपुर। राजधानी रायपुर के एक स्कूल में ऐसा नजारा देखने को मिला, जिससे हर कोई प्रभावित हुआ। यहां की एक शिक्षिका बच्चों के ड्रेस में स्कूल पहुंची और बच्चों के साथ ही बेंच पर बैठकर उनकी कठिनाइयों को समझा और उन्हें पाठ सीखने के तरीके भी बताये।

स्कूली बच्चों की मनोदशा और उनके मानसिक स्तर को समझते हुए यदि शिक्षक कक्षा में किसी विषय को पढ़ाते हैं, तो वह बच्चों के दिमाग में सीधे उतर जाता है। कुछ ऐसी ही पहल राजधानी रायपुर के रामनगर स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका जान्हवी यदु ने की है।

पढाई के प्रति बढ़ गई रूचि

बच्चों ने शिक्षिका को स्कूल यूनिफार्म में देखा तो वे बहुत खुश हुए। नए रूप में शिक्षिका को देखकर बच्चों ने पढ़ाई में अधिक उत्साह दिखाना शुरू कर दिया। बच्चों को लगा कि शिक्षिका उनकी एक अच्छी मित्र और मार्गदर्शक है। सोशल मीडिया में इसकी बड़ी चर्चा हो रही है।

बच्चे भी पहुंचने लगे यूनिफॉर्म में

बच्चों को बेहतर शिक्षा देने और उनमें अनुशासन का भाव जगाने के उद्देश्य से शिक्षिका जान्हवी यदु ने स्कूली बच्चों जैसा स्कूल यूनिफार्म पहन कर आना शुरू किया। इससे ऐसे विद्यार्थी जो यूनिफार्म मेें स्कूल नहीं आते थे, उन बच्चों ने भी स्कूल में यूनिफार्म पहन कर आना शुरू कर दिया। बच्चे कक्षा में पढाई जा रही विषय वस्तु कितना समझते है, इसके लिए शिक्षिका ने स्कूल यूनिफार्म में बच्चों के बीच बैठकर आंकलन किया। जिन बच्चों को समझने में कठिनाई आ रही थी, उन्हें फिर से उनके बीच बैठकर सीखने में सहयोग किया।

शिक्षक होते हैं बच्चों के प्रेरणाश्रोत

शिक्षिका जान्हवी यदु का कहना है कि स्कूली बच्चों के प्रेरणा के स्त्रोत शिक्षक होते हैं। शिक्षकों को देखकर ही उनमें अनुशासन आता है। यदि शिक्षक स्कूल के नियमों का पालन सही तरीके से करते हैं, तो बच्चे भी उनका अनुशरण करते हैैं।

हुए कई रोचक अनुभव

जान्हवी ने बताया कि बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए उन्होंने नए गैट-अप में स्कूल आना शुरू किया, तो इसके कई रोचक अनुभव भी हुए। कई बार उन्हें उनके सहकर्मी पहचान नहीं पाए तो कई बार बच्चों ने भी उनसे बच्चों के जैसा बर्ताव किया।

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