बिलासपुर। मांझी अनुसूचित जनजाति के तहत आरक्षण के लिए अब मछुआरा समाज प्रदेश भर में आंदोलन की राह पर निकल पड़ा है। संभाग स्तरीय कार्यक्रम के तहत बिलासपुर के कलेक्ट्रट में मछुआरा समाज ने छग मछुआरा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन किया, जिसमे संभाग भर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रदेश संयोजक सुखउ राम निषाद ने बताया कि मछुआरा समाज को 1950 से अनुसूचित जनजाति का लाभ प्राप्त करने की पात्रता है। और यह तत्कालीन दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। मछुआ समाज के द्वारा संविधान में 1950 में भेजी गई अनुशंषा जिसमें मांझी, केंवट, मल्लाह, धीवर, भोई, कहार, कहरा स्पष्ट रूप से उल्लेखित है, बावजूद इसके जनजातीय आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इससे सम्बंधित समस्त दस्तावेज राज्य के जनजातीय विभाग व ट्राइबल रिसर्च इस्टीट्यूट को उपलब्ध कराये जाने के बाद भी इस विषय पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। इसके चलते समाज के भीतर भारी रोष है। राज्य सरकार द्वारा 2023 विधानसभा सत्र में अनुसूचित जनजाति संकल्प भी चर्चा में नहीं आ पाया और यह पारित नहीं हो सका और पूरे मछुआ समाज में समाज में शासन की कार्यप्रणाली पर घोर निराशा व्याप्त हो रही है। इसको लेकर संघर्ष मोर्चा ने कलेक्टर सौरभ कुमार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है और मांग पूरी न होने की स्थिति में राज्य स्तरीय आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
इस आंदोलन में सुखाउ प्रसाद, रमेश धीवर, गणेश निषाद, दाऊलाल कहार, बुधराम धीवर और गोवर्धन प्रसाद धीवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।