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बिलासपुर। डॉक्टरों से मिलीभगत करके फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल करने वाले 78 लोगों की सूची दिव्यांगों के संगठन ने पुलिस को सौंपी है और FIR दर्ज करने की मांग की है। इनका आरोप है कि इसके पीछे एक गिरोह काम कर रहा है जिसमें डॉक्टरों की भी मिलीभगत है।

कृषि विभाग में सबसे ज्यादा फर्जी दिव्यांग

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के पदाधिकारियों ने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद कहा कि राज्य सरकार ने सन् 2016 से 18 के बीच दिव्यांगों के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाया था। इसमें ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पद पर 50 ऐसे लोगों की नियुक्ति की गई है, जिन्होंने श्रवण बाधित होने का फर्जी सर्टिफिकेट जमा किया। इसी तरह से 3 लोगों ने कृषि शिक्षक का पद हथिया लिया। इन्होंने भी श्रवण बाधित होने का फर्जी सर्टिफिकेट चयन के दौरान जमा किया।

प्रदेश भर में कर रहे नौकरी

इसके अलावा अन्य विभागों को मिलाकर कुल 78 लोगों का नाम अभी तक सामने आया है जिन्होंने अपनी दिव्यांगता का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा लिया है। ये सभी छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में नौकरी कर रहे हैं।

राज्य मेडिकल बोर्ड से कराएं सत्यापन

दिव्यांग सेवा संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि संगठन की बैठक के बाद एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया गया। इन्होंने अपनी शिकायत में 78 लोगों की सूची देते हुए इन सभी की दिव्यांगता का राज्य मेडिकल बोर्ड से सत्यापन कराने की मांग की है। साथ ही आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 की धारा 91 के तहत एफ आई आर दर्ज करने की मांग की है। पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने वालों की जांच कर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने तथा धोखाधड़ी का अपराध दर्ज नहीं किया गया तो वे आंदोलन करेंगे।

डॉक्टरों की भूमिका पर भी सवाल

पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर नौकरी लगाने में एक गिरोह काम कर रहा है। रैकेट चलाने वाले ने भी सरकारी नौकरी फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल की है। इसमें प्रमाण पत्र बनाने वाले कुछ डॉक्टरों की भी भूमिका है। सिविल लाइन पुलिस ने शिकायत की जांच करने की बात कही है।

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