जीपीएम। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में पिछले कुछ महीने से गांव-गांव में एक के बाद E Clinic खोलने की शुरुआत की गई। इन केंद्रों को संचालित करने वाले युवाओं को मरीजों का इलाज करने के नाम पर बिलासपुर में प्रशिक्षण भी दिया गया। अवैध रूप से चल रहे इन सेंटरों के बारे में जब शिकायत हुई, तब जाकर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की। इस दौरान यह भी पता चला कि नरेश हेल्थ केयर के संचालक द्वारा रोजगार का झांसा देकर इलाके के युवाओं से ट्रेनिंग के नाम पर रूपये भी वसूले गए।
कलेक्टर के निर्देश पर संस्था को किया सील
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के PRO द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया के निर्देशानुसार बिना अनुमति के संचालित हेल्थ केयर सेंटरो पर नियमानुसार कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी सिलसिले में अनुविभाग पेंड्रा रोड में अनुविभागीय अधिकारी पेंड्रा रोड पुष्पेंद्र शर्मा, प्रभारी तहसीलदार पेंड्रा रोड अविनाश कुजूर, बीएमओ गौरेला डॉ अभिमन्यु, हल्का पटवारी विनोद जगत के दल द्वारा नरेश हेल्थ केयर के द्वारा बिना अनुमति संचालित सेंटर्स के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए, दुर्गावती तिराहा, गौरेला, बांधामुड़ा गौरेला, सारबहरा, देवरगांव में संचालित सेंटर सील किए गए।
ठगी के शिकार युवा पैसे की कर रहे हैं मांग
जिला प्रशासन की इस कार्रवाई के पहले नरेश हेल्थ केयर नामक संस्था द्वारा की जा रही धोखाधड़ी को मीडिया द्वारा उजागर किया गया। दरअसल जीपीएम के गौरेला पेंड्रा में संचालित नरेश हेल्थ केयर के सेंटर में अनेक युवा और पालक भटकते देखे गए। पूछे जाने पर युवाओं ने बताया कि उनसे हेल्थ केयर सेंटर खोलने के लिए ट्रेनिंग देने के नाम पर 45 से 55 हजार रूपये लिए गए। इसके साथ ही इनमें से कुछ को बिलासपुर में संचालित नरेश हेल्थ केयर के सेंटर में ट्रेनिंग भी दिया गया। मगर जिस तरह इन्हें बताया गया था वो सब झूठ निकला। जिसके बाद इन युवाओं ने अपने रूपये वापस मांगे, मगर अब इन्हें घुमाया जा रहा है।
E Clinic में इलाज और रिफर की सुविधा
नरेश हेल्थ केयर द्वारा इन युवक-युवतियों को बताया गया था कि ट्रेनिंग के बाद वे (ट्रेनिंग लेने वाले युवा) गांव में हेल्थ केयर सेंटर E Clinic खोलेंगे और वहां मामूली बीमारी वाले मरीजों का इलाज करेंगे, साथ ही अगर कोई गंभीर मरीज आया तो वे उसे बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में रिफर करेंगे। इसके अलावा उन्हें ग्रामीणों को नरेश हेल्थ केयर NHC का कार्ड बनाकर देना है, जिसके एवज में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। इन सब के एवज में उन्हें 13 हजार रूपये हर महीने मिलेंगे। आधी-अधूरी ट्रेनिंग के बाद कई गांवों में हेल्थ केयर सेंटर खोले भी गए।
ठगी का अहसास हुआ तब
इन युवाओं ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब उन्हें पता चला कि इस तरह मरीजों का इलाज करना गैरकानूनी है, तब उन्होंने संस्था की डायरेक्टर चांदनी से अपने रूपये वापस मांगे मगर उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए निर्धारित तिथि को आने को कहा गया, लेकिन अब संस्था में ताला लगा हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर
नरेश हेल्थ केयर द्वारा किये जा रहे फर्जीवाड़े की जानकारी मीडिया में आने के बाद भी जिले के CMHO नागेश्वर राव द्वारा शुरुआत में कोई कार्रवाई नहीं की गई, मगर जब जिलाधीश प्रियंका ऋषि महोबिया तक शिकायत पहुंची तब उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दिए। जिसके बाद एसडीएम, तहसीलदार और BMO ने नरेश हेल्थ केयर के कार्यालय में दबिश दी मगर वहां टाला लटका हुआ मिला, जिसके बाद इसे सील करने की कार्रवाई की गई।
शुरू की गई संस्था की जांच
SDM पेंड्रा रोड पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि फिलहाल संस्था को सील करने की कार्रवाई की गई है। इस मामले की जांच का जिम्मा प्रभारी तहसीलदार पेंड्रा रोड अविनाश कुजूर और बीएमओ गौरेला डॉ अभिमन्यु को सौंपा गया है। वही जब उनसे बिलासपुर में संचालित नरेश हेल्थ केयर के ट्रेनिंग सेंटर के बारे में पूछा गया तब उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की और बताया कि जांच में सारे तथ्य उजागर होंगे। फ़िलहाल इस बात कि जानकारी मिली है कि यह संस्था बिना किसी अनुमति के जिले में चल रही थी।
बहरहाल नरेश हेल्थ केयर नामक इस संस्था द्वारा जीपीएम जिले में बनाये जा रहे झोला छाप डॉक्टरों के बारे में जांच के बाद ही कोई कार्रवाई हो सकेगी, मगर सवाल यह उठता है कि इस जिले के कई गांवों में अवैध रूप से हेल्थ केयर सेंटर खोल दिए गए और जानकारी होते हुए भी CMHO और उनके किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस बीच कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। वहीं इलाके के भोलेभाले बेरोजगार युवक-युवतियों के रूपये भी इस संस्था द्वारा वापस किये जायेंगे या नहीं, इस पर भी संशय है। इसके अलावा नरेश हेल्थ केयर द्वारा बिलासपुर में चलाई जा रही संस्था की वैधानिकता की भी जांच करनी चाहिए।