रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाले पटवारी पिछले 1 माह से हड़ताल पर हैं, जिससे आम जनता के महत्वपूर्ण कार्य जैसे आय, जाति, निवास के साथ नामांतरण, बंटवारा आदि कार्य अटके पड़े हैं। मगर शासन ने इनकी मांगों पर विचार करने से बेहतर एस्मा लगाना ही उचित समझा। अब इसके बाद राजस्व विभाग की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले भू अभिलेख शाखा के अधीक्षक और सहायक अधीक्षक भी आंदोलन की राह में बढ़ रहें हैं।
बता दें कि भू अभिलेख शाखा के अधीक्षक और सहायक अधीक्षक पद की व्याख्या भू राजस्व संहिता में कलेक्टर के सलाहकार के रूप में की गई है। साथ ही पटवारी और राजस्व निरीक्षक भू अभिलेख शाखा के ही कर्मचारी होते हैं। विगत 5 वर्षों से तहसीलदार और अधीक्षक भू अभिलेख का संवर्ग एक करने की मांग की जा रही है। राजस्व विभाग द्वारा इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों से अभिमत मांग की गई थी इस प्रस्ताव के पक्ष में 28 जिलों के कलेक्टर और 4 संभाग आयुक्तों ने अभिमत दिया। विशेष उल्लेखनीय है कि द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा इन दोनों संवर्गों को एक करने हेतु अनुशंसा भी की गयी है।
वर्तमान में शासन द्वारा 45 से अधिक नई तहसील की घोषणा की गई है परंतु उसमें कार्य करने वाले तहसीलदार और नायब तहसीलदार कहां से आयेंगे, इस बाबत कोई योजना नहीं है। सूत्रों के अनुसार एक विशेष वर्ग के दबाव के कारण शासन यह फैसला लेनें में देरी कर रहा, परंतु उसे आम जनता की भलाई के लिए मितव्ययी कदम उठाने चाहिए।
भू अभिलेख अधिकारी संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन की कड़ी में एक दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन करने का आव्हान किया गया है। संघ का कहना है कि शासन यदि उनकी उचित मांगों पर संवेदना पूर्वक विचार नहीं करता तो वे हड़ताल की राह पर भी जा सकते हैं। अब देखने वाली बात यह रहेगी कि प्रशासन के महत्वपूर्ण विभाग राजस्व में विभिन्न वर्गों को संतुष्ट करने के लिए शासन क्या कदम उठाता है।