• नियम विरुद्ध किये गए कई तबादले

  • आदिवासी विभाग का शिक्षा में किया तबादला

  • पहले की गलती, अब कई तबादले होंगे निरस्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग और अनुसूचित जाति जनजाति विभाग एक ही मंत्री के अधीन है, और दोनों विभाग तबादले को लेकर काफी चर्चा में हैं। मंत्री के कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों और बाबुओं ने दोनों विभागों को लेकर जो खिचड़ी पकाई, उसमें नियम कायदों का भी खयाल नहीं रखा गया। नतीजतन विभाग को कई तबादले निरस्त करने पड़ेंगे।

सरकार ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में तबादला नीति जारी की थी, जिसकी डेडलाइन 23 अगस्त तय की गई थी, मगर मियाद खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग में तबादले को लेकर जो द्वंद्व मचा, उसे लेकर विभाग ही नहीं, बल्कि सरकार की भी जमकर किरकिरी हुई है। राज्य भर में सबसे पहले प्रभारी मंत्रियों की अनुशंसा पर जिलों के अंदर तबादले हए, इसके एक माह बाद जिलों के बीच अधिकारियों और कर्मचारियों की स्थानांतरण सूची जारी हुई। सबसे ज्यादा लम्बी सूची शिक्षा विभाग की निकली, और इसके बाद विवाद का सिलसिला शुरू हो गया। शिकायत है कि जो लोग वास्तव में तबादले के लिए पात्र थे, और जिनकी अनुशंसा विधायकों और दूसरे मंत्रियों ने की थी उनमें से अधिकांश का नाम सूची से गायब है, वहीं जिन लोगों ने सेटिंग की उनका तबादला हो गया है। आश्चर्य तो तब हुआ, जब कांग्रेस के चंद विधायकों ने अपने लोगों का तबादला नहीं होने का गुस्सा मंत्री के निवास पर जाकर वहां तैनात अधिकारियों पर उतारा। बात सीएम तक जा पहुंची है।

  • दूसरे विभाग में किया तबादला

इस बीच शिक्षा विभाग की तबादला सूची में  अनेक खामियां उजागर हुई हैं। सबसे बड़ी खामी तो यह है कि प्रदेश में जो स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित हैं, वहां आदिवासी विकास विभाग से संबंधित शिक्षकों का तबादला नहीं हो सकता मगर कई प्राचार्यों का तबादला इसी तरह नियम को तक पर रखकर कर दिया गया है। कोरबा जिले में ऐसे ही लगभग आधा दर्जन प्राचार्यों का उनके विभाग से बाहर तबादला कर दिया गया।

  • स्वेच्छा के आधार पर हुए तबादले

जिन प्राचार्यों का तबादला आदिवासी विभाग से शिक्षा विभाग में किया गया है, उनके नाम के आगे स्वेच्छा के आधार पर तबादले का उल्लेख है। सवाल यह उठता है कि जब सन 2015 से ही टी संवर्ग का ई संवर्ग का आपस में तबादले पर प्रतिबंध है, तब इन प्राचार्यों ने दूसरे विभाग के स्कूल में तबादले के आवेदन क्यों किया। मजे की बात तो यह है कि प्राचार्यों की तबादला सूची में इस नियम का उल्लेख ही नहीं किया गया, लेकिन मामला उजागर होने पर बी ई ओ और प्राचार्यों की दूसरी सूची के आखिर में इस बात का उल्लेख किया गया कि अगर टी संवर्ग का ई संवर्ग का आपस में तबादला हो गया है तो वह स्वयमेव ही निरस्त माना जायेगा।

  • विभाग ने गलती स्वीकारी

तबादला सूची में हुई इस त्रुटि के संबंध में जब शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह के विशेष सहायक नवीन भगत से चर्चा की गई, तो उन्होंने माना कि गलती हुई है, और नियम विरुद्ध जो भी तबादले हुए हैं उन्हें निरस्त किया जायेगा। पता यह भी चला है कि मुख्यमंत्री ने सीधे मंत्री से इस बाबत चर्चा की है और सुधार कार्य करते हुए दूसरे विधायकों और मंत्रियों द्वारा की गई अनुशंसा पर भी गौर करने को कहा है।

  • बंगले पर फिर जुटने लगी भीड़

तबादला सूची में नाम नहीं आने के बाद शिक्षा मंत्री के बंगले में फिर से शिक्षकों और कांग्रेस नेताओं की भीड़ जुटने लगी है। और तो और विधायक भी यहां पहुंच रहे हैं, सभी को यह कहा जा रहा है कि संशोधित सूची जारी होने तक इंतजार कर लें, उनका काम अवश्य होगा। भीड़ के चलते यहां नई व्यवस्था लागू की गई है। यहां रिसेप्शनिस्ट  के कक्ष से आगे का दरवाजा बंद कर दिया गया है, एयर अंदर पर्ची भेज कर लोगों को मुलाकात का मौका दिया जा रहा है,जबकि पूर्व में मंत्री का बंगला खुली दरबार की तरह था।

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