नईदिल्ली। सुमन सुखीजा ने यूट्यूब पर मशरूम की खेती के बारे में वीडियो देखकर शुरुआत की और फिर विशेष प्रशिक्षण लिया। उन्होंने अपने घर के एक छोटे से कमरे को प्रयोगशाला में बदला और कई असफलताओं के बाद भी हार नहीं मानी। आज उनका ब्रांड न केवल आर्थिक रूप से सफल है, बल्कि यह दूसरी महिलाओं को सशक्त बनाने और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में भी योगदान दे रहा है।

यूट्यूब वीडियो से मिली प्रेरणा
सुमन सुखीजा का जीवन वर्षों तक परिवार और घरेलू जिम्मेदारियों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा। हालांकि, जब उनके बच्चे बड़े होकर आत्मनिर्भर हो गए तो अचानक उन्हें लंबे समय का खालीपन महसूस हुआ। 45 साल की उम्र में उन्होंने इस खाली समय को क्रिएटिविटी में बदलने का फैसला किया। वह मानती हैं कि महिलाओं को न केवल पैसे के लिए, बल्कि आत्मविश्वास और गरिमा के लिए कमाना चाहिए। इस विचार ने उन्हें मशरूम की खेती की ओर मोड़ा। YouTube वीडियो देखकर उन्होंने इसके बारे में काफी कुछ जाना और सीखा। शुरू में बटन या ऑयस्टर मशरूम में दिलचस्पी रखने वाली सुमन पांच दिन के प्रशिक्षण के दौरान कॉर्डिसेप्स मिलिटैरिस यानी कीड़ा जड़ी से प्रभावित हुईं। यह एक दुर्लभ और औषधीय मशरूम है जो अपने औषधीय गुणों के कारण विश्व स्तर पर, विशेष रूप से पारंपरिक चीनी चिकित्सा में प्रसिद्ध है।

छोटे से कमरे को बनाया प्रयोगशाला
कीड़ा जड़ी की खेती सीखने के दृढ़ संकल्प के साथ सुमन ने फरवरी 2018 में विशेष प्रशिक्षण लिया। वापस आकर उन्होंने अपने घर के एक साधारण 10×10 फीट के कमरे को एक प्रयोगशाला में बदल दिया। हालांकि, अनुभव की कमी के कारण उनका पहला पूरा बैच बर्बाद हो गया। 11 लाख रुपये का शुरुआती निवेश भारी पड़ गया। लेकिन, विफलता से हार मानने के बजाय उन्होंने इससे सबक लिया। उन्होंने साफ-सफाई के कड़े प्रोटोकॉल अपनाए, हर उपकरण को स्टरलाइज किया और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं पर फोकस किया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। पहली सफल कटाई (लगभग 200-250 ग्राम) हुई। इसने यह साबित कर दिया कि वह सीख सकती हैं, ढल सकती हैं और सफल हो सकती हैं।

अपना ब्रांड किया लॉन्च
2020 में दिल्ली के द्वारका में एक बड़ी 250 वर्ग फीट की प्रयोगशाला में शिफ्ट होने के बाद सुमन ने उत्पादन बढ़ाया। बेटे राहुल के शामिल होने से उन्हें ऑपरेशंस और मैनेजमेंट में मदद मिली। ग्राहकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर उन्होंने 2021 में अपने उत्पादों को औपचारिक रूप देने के लिए ‘ऑरेंज हर्ब’ ब्रांड लॉन्च किया। अब यह ब्रांड प्रति साइकिल 16 से 20 किलो कॉर्डिसेप्स मशरूम का उत्पादन करता है। इससे सालाना 40 लाख रुपये की कमाई होती है। अपनी पारदर्शिता और शिक्षा के प्रति समर्पण के कारण सुमन ने 2019 में इच्छुक उद्यमियों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया। इसमें वह अब तक एक हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं। इनमें से कई सफल प्रयोगशालाएं चला रहे हैं।
भविष्य की बड़ी हैं योजनाएं
आज सुमन एक गृहिणी से उद्यमी, प्रशिक्षक और मेंटर बन चुकी हैं। उनकी टीम में पांच लोग हैं। कॉर्डिसेप्स के अलावा, उनका ब्रांड अब केसर और माइक्रोग्रीन्स तक विस्तारित कर चुका है। सुमन का दृढ़ विश्वास है कि अनुशासन इस वैज्ञानिक व्यवसाय की कुंजी है। उन्हें लगता है कि महिलाएं अपनी शक्ति को कम आंकती हैं। अगर वह 10×10 के कमरे से यह सब बना सकती हैं तो कोई भी कर सकता है।
सुमन सुखीजा की कहानी इस बात की याद दिलाती है कि उद्यमिता की शुरुआत बड़े सपने से नहीं, बल्कि खाली समय को एक सार्थक पहल में बदलने के एक सरल फैसले से हो सकती है। यह फिर हजारों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

