बलौदा बाजार। हथबंद थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए रेप के मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में आरोपी को 28 साल के कठोर कारावास की सजा मिली है।

पिछले वर्ष 19 मई 2024 की दोपहर हथबंद थाने में एक परिवार ने नाबालिग बच्ची के घर से गायब होने की शिकायत की। परिवार का कहना था कि लड़की को कोई बहला-फुसलाकर ले गया है। परिवार की शिकायत पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया।

48 घंटे में बच्ची को किया बरामद

केस दर्ज होने के बाद मुख्य विवेचना अधिकारी प्रधान आरक्षक अश्विनी वर्मा, आरक्षक उमाशंकर कुर्रे ने टीम बनाकर सबसे पहले बच्ची का लोकेशन ट्रैक करना शुरू किया। कॉल डिटेल, मोबाइल सर्विलांस, पुराने परिचितों की लिस्ट और गांव वालों से पूछताछ की गई। दो दिनों के भीतर नाबालिग, आरोपी के साथ होने का सुराग मिला।

48 घंटे की लगातार खोजबीन के बाद आरोपी गिरफ्तार हुआ। पुलिस ने उसी दिन लड़की को भी सुरक्षित बरामद कर लिया।

पुलिस ने पीड़िता को महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दिलवाया। बयान स्पष्ट था और उसमें कोई विरोधाभास नहीं था, उसके बाद मेडिकल जांच हुई, जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई। ये दोनों बातें केस को मजबूत करने वाली थीं।

  1. बचने की कोशिश में नाकाम रहा आरोपी

अपर सत्र न्यायाधीश भाटापारा सतीश कुमार जायसवाल के कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। बचाव पक्ष ने कई दलीलें दीं, लेकिन एक भी तर्क अदालत को भ्रमित नहीं कर पाया। जब अपराध नाबालिग से जुड़ा हो, अदालत विशेष रूप से सख्त रुख अपनाती है, यही इस केस में भी हुआ।

बलौदा बाजार कोर्ट ने कहा कि आरोपी का अपराध न सिर्फ पीड़िता बल्कि पूरे समाज के खिलाफ है, इसलिए नरमी की कोई गुंजाइश नहीं। आरोपी को 28 साल कठोर कारावास और 1100 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई।

एसपी भावना गुप्ता ने बताया कि हथबंद 19 मई 2024 को 363 और पॉक्सो एक्ट का केस दर्ज किया गया था, जिसमें नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था। इसमें खिलौरा का रहने वाला 24 साल के आरोपी को गिरफ्तार किया गया। एक साल के अंदर इस मामले में कार्रवाई औऱ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी को 28 साल कारावास की सजा सुनाई है।

एसपी गुप्ता ने आगे कहा -यह बहुत संवेदनशील मामला था। एफआईआर दर्ज होते ही टीम को निर्देश दिए गए थे कि किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए। आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया गया, सभी साक्ष्य समय पर कोर्ट भेजे गए। नाबालिग पीड़िता को न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता थी। अदालत का फैसला उन सभी के प्रयासों का नतीजा है, जिन्होंने इस केस पर दिन-रात मेहनत की।

You missed

error: Content is protected !!