0 बच्चों ने बताया- कुएं में लटका देती है मैडम
सूरजपुर। होमवर्क नहीं करने पर शिक्षिकाओं ने एक बच्चे को ऐसी सजा दी, जिसकी तस्वीर देखकर लोग सिहर गए। बच्चे को तालिबानी सजा देने का मामला छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में सामने आया है। यहां होमवर्क नहीं करने जैसी मामूली बात से नाराज शिक्षिकाओं ने बच्चे को टी शर्ट के सहारे पेड़ से लटका दिया। बच्चा पेड़ से देर तक लटकता रहा। इस बीच जब किसी शख्स ने इस वाकये का वीडियो बनाना शुरू किया तब शिक्षिकाएं बच्चे को नीचे उतारने की बजाय वीडियो बनाने से मना करते नजर आयीं। इसकी खबर आम होने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया है।

नाराज शिक्षिकाओं ने की इस तरह की हरकत
रामानुजनगर थाना क्षेत्र के नारायणपुर में हंसवाहिनी विद्या मंदिर नामक प्राइवेट स्कूल संचालित है। यहां एक बच्चा स्कूल में होमवर्क करके नहीं पहुंचा था। जिससे नाराज होकर स्कूल की शिक्षिकाओं ने बच्चे को उसके टीशर्ट के सहारे पेड़ के तने में टांग दिया। इस तालिबानी सजा को भुगतते हुए बच्चा काफी देर तक पेड़ से लटका रहा। वहीं इस दौरान वहां पहुंचे एक ग्रामीण ने इसका वीडियो बनाया तो शिक्षिकाओं ने उसे रोकने की कोशिश की।

गुस्से में हैं अभिभावक
वीडियो के वायरल होते ही अभिभावकों में भारी आक्रोश देखने को मिला। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा स्कूल प्रबंधन पर फूट पड़ा। बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर विरोध जताया।
सभी ने मामले में संज्ञान लेकर प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग रखी है ताकि ऐसी घटना दोबारा दोहरे न जा सके। वहीं शिक्षा के मंदिर में ऐसी क्रूरता ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है।

“कुएं में लटका देती हैं मैडम”
इस दौरान कई बच्चों ने शिक्षिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि, मैडम कुएं में लटका देती है। यह आरोप बेहद चिंताजनक है। वहीं घटना की वीडियो वायरल होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने तत्काल शिक्षा विभाग के अधिकारी को मौके पर भेजा। फिलहाल विभाग की टीम मामले की जांच में जुट गई है। उन्होंने बताया कि, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
प्रबंधन बता रहा है मामूली घटना
सबसे गंभीर बात यह है कि स्कूल संचालक को यह सजा मामूली लग रही है। उनका कहना है कि, बच्चा पढ़ता नहीं था और उसको डराने के लिए ऐसा किया गया है। बहरहाल ऐसी तस्वीरें सामने आना कहीं ना कहीं विभाग के ऊपर भी कई सवाल खड़े करता है। ऐसे स्कूलों को, जहां पर स्कूल संचालन करने की मूलभूत सुविधाएं ना होते हुए भी मान्यता कैसे मिल जाती है।

