रायपुर। हाल ही में छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी करते हुए स्कूल परिसर के आसपास कुत्तों के विचरण करने पर रोक लगाने के लिए प्राचार्यों और शिक्षकों को नोडल बनाया है। इस आदेश का जमकर विरोध हुआ और इसका मजाक उड़ाया जाने लगा। इसके बाद शिक्षा विभाग ने अपनी सफाई पेश की है। विभाग ने बताया कि देश भर में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक और लोगों की दिक्कतों को देखते हुए मीडिया में लगातार प्रकाशित हो रहे रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की थी। जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर आवारा कुत्तों से आमजनों की सुरक्षा का निर्देश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के परिपालन में राज्य शासन के पशुधन विकास विभाग ने 13 नवंबर 2025 को आवारा कुत्तों से सुरक्षा के संबंध में निर्देश जारी किया है। इसी निर्देश के मद्देनजर स्कूल शिक्षा विभाग ने आवारा कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी स्कूलों के प्रिंसिपल व संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी बनाने के साथ ही जिम्मेदारी सौंपी है।
जानें, क्या है दिशा-निर्देश..?
स्कूलों के प्रिंसिपल व संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी बनाया गया है। ये अधिकारी स्कूल परिसर और आसपास दिखने वाले आवारा कुत्तों की जानकारी तुरंत ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग क्रैचर नोडल अधिकारी को देंगे। साथ ही स्कूल में कुत्तों की एंट्री रोकने के लिए जरूरी इंतजाम भी करेंगे। यदि किसी बच्चे के साथ आवारा कुत्ते द्वारा काटे जाने की घटना होती है, तो बच्चे को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी, ताकि आवश्यक प्राथमिक इलाज समय पर उपलब्ध कराया जा सके।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन निर्देशों का उद्देश्य प्रदेश के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए सुरक्षित, भय-मुक्त और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप तथा पशुधन विकास विभाग के मार्गदर्शन में यह अभियान पूरे प्रदेश में तेजी और संवेदनशीलता के साथ लागू किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों, बीईओ, बीआरसी, सीआरसी तथा स्कूल प्रबंधन समितियों से अपेक्षा की है कि वे इन दिशा-निर्देशों का कठोरतापूर्वक पालन सुनिश्चित करें और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

