बिलासपुर। मल्हार स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा 10वीं के छात्र हर्षित यादव की निमोनिया के चलते मौत हो गई। बेलगहना गांव निवासी जयप्रकाश यादव का पुत्र हर्षित यादव, कक्षा छठवीं से नवोदय विद्यालय में पढ़ रहा था और हॉस्टल में ही अन्य छात्रों के साथ रहता था। आरोप है कि प्रबंधन द्वारा इलाज में लापरवाही बरतने के चलते छात्र की मौत हो गई।

जयप्रकाश यादव ने बताया कि शनिवार 22 नवंबर को स्कूल प्रबंधन की ओर से उन्हें सूचना दी गई कि हर्षित की तबीयत खराब है। सूचना पर पिता बेलगहना से मल्हार पहुंचे। इस दौरान छात्र हर्षित की हालत इतनी खराब थी कि वह बाइक में बैठकर लाने लायक भी नहीं था। पिता जय प्रकाश ने बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने का अनुरोध नवोदय प्रबंधन से किया। तब बताया गया कि प्राचार्य गाड़ी को लेकर तीन दिनों के लिए मीटिंग में गए हुए हैं।

बाइक पर कपड़े से बांध कर ले गए अस्पताल

बीमार बेटे को बिलासपुर तक छुड़वा देने की गुहार भी नवोदय प्रबंधन ने अनसुनी कर दी और कहा गया कि आप खुद ही व्यवस्था कर लीजिए या बाइक से ही ले जाइए। पिता अपने बेटे को पीछे बैठा कर कपड़े से बांध किसी तरह शहर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने निमोनिया की पुष्टि कर उसका इलाज शुरू किया। डॉक्टरों ने यह भी बताया कि निमोनिया बढ़ गया है, इसे पहले ही इलाज के लिए ले आना चाहिए था, लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए थी।

जयप्रकाश यादव अपने बेटे हर्षित को घर लेकर चले गए। रविवार को वह घर पर ही था। सोमवार की सुबह उसकी तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश हो गया। उसकी हालत अचानक बिगड़ गई और उसे बेहोशी की हालत में परिजन बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां उसे ICU में भर्ती किया गया, पर इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

विद्यालय में नर्स की है पदस्थापना…

बता दें कि छात्रों के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए नवोदय विद्यालयों में नर्स की नियुक्ति की जाती है और मल्हार के इस विद्यालय में भी नर्स की तैनाती है, बावजूद इसके बीमार हर्षित के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप हर्षित के पिता लगा रहे हैं। आलम यह था कि जयप्रकाश यादव को अपने बेटे को बाइक से अस्पताल ले जाने की नौबत आ गई। समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते हर्षित की मौत हो गई। इस घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने किसी तरह का संपर्क भी परिजनों से नहीं किया। पिता ने कहा, “बेटा ही मेरा सहारा था।”

उधर विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि हर्षित की तबियत पहले से खराब नहीं थी। शनिवार की सुबह वह कक्षा में एग्जाम देने नहीं पहुंचा। पता चला कि उसकी तबियत ख़राब है। जिसके बाद नर्स के कक्ष में उसे दवाएं देकर उसे ऑब्जेर्वेशन में रखा गया। इस दौरान हर्षित ने पेपर देने पर सहमति जताई, तब उसे नर्स के कक्ष में ही पेपर दिया गया। लगभग एक घंटे बाद हर्षित को चक्कर आने लगे तब उसके पिता को मामले की सूचना दी गई।

खामियों के बीच रहने को मजबूर हैं छात्र

नवोदय विद्यालय के कमरों और हॉस्टल में खिड़कियों–दरवाजों का अभाव है। सफाई की कमी है। इसके अलावा कड़ाके की ठंड में सुबह पांच बजे नहाने जैसे कड़े नियम लागू हैं। सांप बिच्छू भी यहां आ जाते हैं। आस पास जंगल की तरह पेड़ हैं, और हॉस्टल की कई खिड़कियों में दरवाजा भी नहीं है जिसके चलते ठंड ज्यादा लगती है।

मेधावी बेटे को खो दिया परिवार ने

मृत छात्र हर्षित के पिता जयप्रकाश यादव ने बताया कि बच्चे की तबीयत बिगड़ने की जानकारी उन्हें पहले नहीं दी गई। जब स्थिति काफी बिगड़ गई तब उन्हे बताया गया। सही समय पर इलाज नहीं मिल सका और ना ही स्कूल प्रबंधन से अस्पताल पहुंचाने के लिए मदद मिल पाई। छात्र के पिता ने बताया कि उनका एक लड़का (हर्षित) और एक लड़की है। हर्षित मेधावी था, कॉम्पिटिशन एग्जाम के माध्यम से नवोदय में चयनित हुआ था, जबकि बेटी ने एमएससी किया है। छात्र के पिता ने नवोदय प्रबंधन पर कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि जिम्मेदारों पर कार्यवाही हो ताकि किसी और अभिभावक को मेरी तरह दुख न उठाना पड़े।

कलेक्टर होते हैं नवोदय के अध्यक्ष

जिलों में ग्रामीण प्रतिभाओं को अच्छी पढाई के उद्देश्य से जवाहर नवोदय विद्यालयों की शुरुआत की गई थी। नियमतः नवोदय विद्यालय के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं। पर पिछले काफी समय से यहां कलेक्टर का दौरा नहीं हुआ है। मल्हार नवोदय विद्यालय के छात्र नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। कमरों के खिड़की दरवाजे टूटे हुए हैं। बाथरूम में दरवाजे तक नहीं है और न ही ठीक से पानी निकासी की व्यवस्था है, जिसके चलते पानी बरामदे तक पहुंच जाता है। मेन गेट भी टूटा हुआ है। जगह-जगह गंदगी के कारण संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। पालक भी गंदगी का मुद्दा उठा चुके है। गंदगी के चलते हैजा, डायरिया जैसे संक्रमण का खतरा है। इस संबंध में मीडिया ने भी प्रशासन का ध्यान दिलाया मगर इस पर कोई भी पहल नहीं की गई।

उधर विद्यालय के प्राचार्य फंड नहीं होने का रोना रो रहे हैं। प्राचार्य मनोज श्रीवास्तव के अनुसार इसके लिए कई बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है पर फंड रिलीज नहीं हुआ। जानकार बताते हैं कि विद्यालय प्रबंधन को हर वर्ष मेंटेनेंस कार्यो के लिए 10 लाख रूपये मिलते हैं, मगर लगता है कि प्राचार्य की रूचि विद्यालय की व्यवस्था को दुरुस्त करने में नहीं है।

मामले की जांच शुरू

हर्षित की मौत के बाद परिजनों ने पुलिस थाने में मर्ग दर्ज कराकर शव का पोस्टमॉर्टम करवाया। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। उधर छात्र के मौत की सूचना मिलने के बाद नवोदय विद्यालय के भोपाल स्थित रीजनल कार्यालय के आदेश पर मामले की जांच शुरू हो गई है। जांच का जिम्मा डोंगरगढ़ स्थित नवोदय विद्यालय के प्राचार्य को सौंपा गया है। वहीं बिलासपुर जिला कलेक्टर के निर्देश पर DEO ने भी जांच समिति गठित कर दी है, जिसमें 4 प्राचार्यों को शामिल किया गया है। जांच में क्या निकलता है इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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