भिलाई नगर। आतंकी संगठन आईएसआईएस के नेटवर्क से जुड़ने के संदेह में चार नाबालिगों से आतंकवाद विरोधी दस्ता (ATS) ने पूछताछ की है। चारों नाबालिग भिलाई के सुपेला इलाके के रहने वाले बताए जा रहे है।
पूर्व में पकड़े गए किशोरों से कनेक्शन..?
ये सभी नाबालिग पहले पकड़े गए दो किशोरों से जुड़े पाए गए थे। इन नाबालिगों को एटीएस बुधवार की सुबह पूछताछ के लिए ले गई थी। उसके 48 घंटे बाद गुरुवार की रात परिजनों के सुपुर्द कर दिया है। जिन बच्चों से एटीएस ने पूछताछ की, वो पूर्व में एटीएस के हत्थे चढ़े नाबालिगों से संपर्क में थे। एटीएस के अफसरों ने नाबालिगों से पूछताछ करने और उसके बाद उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द करने की पुष्टि की है।
प्रशिक्षण के अंतिम चरण में थे किशोर
मिली जानकारी के अनुसार पकड़े गए किशोर आतंकी संगठन के ‘ट्रेनिंग फेज’ के अंतिम चरण में थे। वे भारत के खिलाफ नफरत और हिंसक विचारों से भरे हुए थे और किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे। उन्होंने 100 से अधिक लड़कों का एक ऑनलाइन ग्रुप बना लिया था। एटीएस अब इस ग्रुप में जुड़े बाकी नाबालिगों की तलाश में है, क्योंकि कई बच्चे अभी भी इस नेटवर्क के संपर्क में हो सकते हैं।
हिंसक ऑनलाइन गेम से शुरुआत
अधिकारियों के अनुसार पूर्व में गिरफ्तार हुए नाबालिग किशोरों को ऐसे हिंसक ऑनलाइन गेम भेजे जाते थे, जिनमें टास्क के नाम पर हमले जैसी गतिविधियों की नकली ट्रेनिंग दी जाती थी। इसके अलावा उन्हें डार्क वेब, वीपीएन, एन्क्रिप्टेड साइट्स और कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल सिखाया गया। मोबाइल डेटा की फॉरेंसिक जांच में दर्जनों कोड-वर्ड, हटाई गई चैट, संदिग्ध ग्रुप कॉल और कट्टरपंथी कंटेंट मिले हैं।
सर्विलांस के जरिए मूवमेंट पर नजर
एटीएस ने इन किशोरों से करीब दो साल पहले संदिग्ध गतिविधियों के चलते पूछताछ की थी। इसके बाद उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर साइलेंट सर्विलांस जारी था। जैसे ही तकनीकी प्रमाण मजबूत हुए, कार्रवाई कर इन्हें पकड़ लिया गया।
युवाओं को किया जा रहा टारगेट
अधिकारियों का कहना है कि यह मॉड्यूल छत्तीसगढ़ में युवाओं को टारगेट कर रहा था। उनके परिजनों को इस गतिविधि की बिल्कुल जानकारी नहीं थी। पढ़ाई के लिए दिए गए मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट का इस्तेमाल ISIS नेटवर्क से संपर्क के लिए किया जा रहा था। इंस्टाग्राम की फेक आईडी से नियमित चैट होती थी, जिन्हें बाद में डिलीट कर दिया जाता था।

