रायपुर। राजधानी के उरकुरा इलाके में लगभग 20 महीने पहले महिला की संदिग्ध मौत के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। उस समय परिवार ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की थी, लेकिन फोरेंसिक जांच और डीएनए रिपोर्ट ने सच्चाई सामने लाकर रख दी है। 44 वर्षीय महिला कान्ति साहू की हत्या उसके ही पति डोमार सिंह साहू और बेटे धर्मराज ने मिलकर की थी।

क्या है मामला..?

यह मामला 29 जनवरी 2024 का है। उस दिन कान्ति साहू की लाश रायपुर के अंबेडकर अस्पताल लाई गई थी। पति और बेटे ने पुलिस को बयान दिया था कि महिला ने घरेलू तनाव के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने उनके इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए। डॉक्टरों की रिपोर्ट में महिला के शरीर पर 13 जगह चोट के निशान मिले। साथ ही गला दबाने से मौत की पुष्टि हुई। इससे पुलिस का शक और गहरा गया कि यह मामला आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का है।

डीएनए जांच ने खोली पोल

संदेह के आधार पर पुलिस ने मृतका के दोनों हाथों के नाखूनों से सैंपल लिया। जांच में पाया गया कि नाखूनों में किसी और की चमड़ी फंसी हुई है। यही नमूना आगे डीएनए जांच के लिए भेजा गया। साथ ही पति डोमार सिंह और बेटे धर्मराज का ब्लड सैंपल भी लिया गया। फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने जब मृतका के नाखूनों से मिले डीएनए का मिलान दोनों आरोपियों से किया, तो रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि चमड़ी के टुकड़े पिता-पुत्र के डीएनए से मेल खाते हैं।

पूछताछ में बाप–बेटे ने मुंह खोला

डीएनए रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने दोनों को कड़ी पूछताछ के लिए बुलाया। शुरू में दोनों बार-बार बयान बदलकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करते रहे। लेकिन जब वैज्ञानिक सबूत उनके सामने रखे गए, तो अंततः दोनों टूट गए और अपना जुर्म कबूल कर लिया।

हत्या की वजह और षड्यंत्र

पूछताछ में सामने आया कि घरेलू विवाद को लेकर पति-पत्नी के बीच अकसर झगड़ा होता था। घटना वाले दिन भी विवाद इतना बढ़ गया कि डोमार सिंह और बेटे धर्मराज ने मिलकर कान्ति साहू की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के बाद पकड़े जाने के डर से दोनों ने महिला की लाश को फंदे पर लटका दिया ताकि यह आत्महत्या जैसा लगे। उन्होंने पुलिस को भी यही कहानी सुनाई, लेकिन वैज्ञानिक जांच ने उनकी साजिश को उजागर कर दिया।

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि फॉरेंसिक साइंस और डीएनए जांच अपराधों को सुलझाने में कितनी अहम भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक चली जांच और वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर अब मृतका को न्याय दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।

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