बिलासपुर। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्रों के जरिए डेथ क्लेम लेकर लाखों रुपयों की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है। पॉलिसीधारकों और एजेंटों की साजिश से अब तक 25 लाख रुपए से अधिक की रकम डेथ क्लेम के रूप में निकलवाई जा चुकी है। इतना ही नहीं, जिन लोगों को मृत दिखाया गया था, उन्हीं के नाम से नई पॉलिसियां भी दोबारा जारी कराई गईं।

दर्ज कराया गया FIR

मामला सामने आने के बाद एलआईसी की रिपोर्ट पर सिविल लाइन, बिलासपुर की पुलिस ने तीन एजेंट समेत सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की है।

एलआईसी एजेंटों और पॉलिसीधारकों ने मिलकर एक ऐसा फर्जीवाड़ा रचा, जिसमें बीमित व्यक्ति को मृत दिखाया गया, डेथ क्लेम लिया गया और कुछ समय बाद उसी नाम से नई पॉलिसी जारी करा दी गई। इस साजिश में एलआईसी के दो ब्रांच—मगरपारा और व्यापार विहार के एजेंट शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक एजेंट नरेश अग्रवाल ने मगरपारा शाखा से बीमा पॉलिसी करवाई और मृत दिखाकर क्लेम दिलवाया। इसके बाद एजेंट राजेश कुमार शर्मा ने उन्हीं लोगों के नाम पर व्यापार विहार ब्रांच से दोबारा नई पॉलिसी जारी करा दी। एजेंट राशि सलूजा ने भी एक पॉलिसी जारी की, जिसमें मृत दिखाए गए व्यक्ति ने बाद में प्रीमियम जमा किया।

एक ही नाम पर लिया कई डेथ क्लेम

मस्तूरी की ओखर निवासी संतोषी साहू की मौत 1 जनवरी 2023 को दर्शाई गई और 6 लाख रुपये का डेथ क्लेम लिया गया। मृत घोषित करने से पहले ही उसके नाम पर 10 दिसंबर 2022 को एक अन्य पॉलिसी में 6 लाख रुपये का क्लेम लिया गया था। इसी तरह जरहाभाठा निवासी ममता पांडेय ने 14 मई 2019 को पॉलिसी ली। उसकी मां ज्ञानेश्वरी पांडेय ने डेथ क्लेम लिया। इसके बाद ममता के नाम से एजेंट राशि सलूजा और राजेश शर्मा ने तीन पॉलिसियां जारी करवा दी। कस्तूरबा नगर के बबला पांडेय ने 2021 में पॉलिसी ली, जिसकी मृत्यु 2023 में दर्शाई गई। उसके नाम पर 5.4 लाख रुपये का डेथ क्लेम निकाला गया। 2022 में उसके नाम पर एक पॉलिसी अलग से जारी कर दी गई थी, जिसमें 2024 तक प्रीमियम जमा किया गया। इसी मामले का पता चलने पर पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया।

एजेंट और पॉलिसी धारक पर FIR दर्ज

एलआईसी प्रबंधन की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट के बाद एजेंट नरेश अग्रवाल, राजेश कुमार शर्मा और राशि सलूजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके पॉलिसी होल्डर नंद कुमार साहू, ज्ञानेश्वरी पांडेय, संदीप पांडेय व मंजरी पांडेय के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया गया है।

कैसे बन गया मृत्यु प्रमाण पत्र..?

इस मामले में फिलहाल यह जांच करने की जरूरत है आखिर संबंधित लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बन गया। अमूमन नगर निगम या फिर पंचायत में यह प्रमाण पत्र पुख्ता दस्तावेजों के आधार पर बनाया जाता है। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए क्या तरीका अपनाया गया जांच करने की जरुरत है।

 

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