बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ की फैमिली कोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए एक नाबालिग बच्चे की कस्टडी उसकी मां को सौंप दी है। न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने कहा कि बच्चे का सर्वोपरि हित किसी भी कस्टडी विवाद में सबसे महत्वपूर्ण होता है।
खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि बच्चे के सर्वोच्च हित को ध्यान में रखते हुए, हमारा मत है कि बच्चे की कस्टडी मां को दी जानी उचित होगी। अदालत ने माना कि फैमिली कोर्ट द्वारा पिता को दी गई कस्टडी उचित नहीं थी और वह निर्णय टिकाऊ नहीं है।
इस मामले में रायगढ़ जिले की एक महिला और उसके नाबालिग बेटे ने फैमिली कोर्ट, रायगढ़ के 11 मई 2022 को दिए गए आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पिता को कस्टडी देने का फैसला सुनाया गया था।
हाईकोर्ट ने इससे पहले 4 दिसंबर 2023 को दिए अपने एक आदेश में यह भी उल्लेख किया था कि बच्चे के सम्पूर्ण विकास के लिए दोनों अभिभावकों की उपस्थिति जरूरी है, साथ ही भारतीय समाज में दादा-दादी और परिवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी गई है।
अंततः हाईकोर्ट ने मां की याचिका को स्वीकार करते हुए बच्चे की कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने पिता को छूट दी है कि वह समय-समय बच्चे से फोन पर बात कर ले और मिल सके।