0 सात मौतों को लेकर कथित ‘लंदन रिटर्न’ डॉ. नरेंद्र के खिलाफ FIR
0 खुद को मशहूर सर्जन डॉक्टर एन जॉन केम बताया
0 बिलासपुर अपोलो सहित कई राज्यों के अस्पतालों में किया काम

बिलासपुर। मध्यप्रदेश के दमोह में जिस कथित फर्जी डॉक्टर की हार्ट सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत हो गई, वह डॉक्टर दो दशक पहले बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल में पदस्थ था और उसके द्वारा की गई सर्जरी से छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल की भी जान चली गई थी। बताया जा रहा है कि इस फर्जी डॉक्टर को यूपी के प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया गया है।

पं शुक्ल के पुत्र एवं कांग्रेस नेता सुनील शुक्ला ने दमोह की घटना सामने आने के बाद इसका खुलासा किया और कहा कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये। उन्होंने बताया कि उनके ‘बाबूजी’ करीब 20 दिन तक अपोलो हॉस्पिटल, बिलासपुर में भर्ती थे और 20 अगस्त 2006 को उनका निधन हो गया था।

सुनील शुक्ला ने बताया कि हम उन्हें ब्लड प्रेशर बढ़ने की शिकायत पर अस्पताल ले गए थे। वहां मौजूद डॉक्टर नरेंद्र यादव ने चेकअप और रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि उन्हें हार्ट अटैक आया है। उसने कहा कि एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी तुरंत करनी पड़ेगी। हमें नहीं लग रहा था कि ऑपरेशन की जरूरत है। हमने सोचा था कि उन्हें मुंबई जैसे हायर सेंटर ले जाकर बाद में इलाज कराएंगे। लेकिन अपोलो जैसे बड़े अस्पताल में ‘लंदन रिटर्न’ डॉक्टर की सलाह पर हमने सर्जरी कीअनुमति दे दी।

तबियत में नहीं आया सुधर, फिर…

इस घटना के बारे में सुनील शुक्ला ने बताया कि कथित डॉक्टर यादव ने एंजियोग्राफी करने में कई घंटे लगा दिए। हमने इस पर सवाल भी उठाए, लेकिन उसने तकनीकी कारण बताकर टाल दिया। इसके दो दिन बाद एंजियोप्लास्टी कर दी गई। इसके बाद बाबूजी की तबीयत लगातार बिगड़ती गई और अंततः 20 अगस्त को उनका निधन हो गया। हमें इलाज में गड़बड़ी का संदेह था, लेकिन दुख की स्थिति में हम तत्काल शिकायत नहीं कर सके। बाद में पार्टी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर से जांच की मांग की, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमें काफी समय बाद पता चला कि उस डॉक्टर को अपोलो अस्पताल से हटा दिया गया है। बाद के वर्षों में मालूम हुआ कि वह अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों में यहां तक की नार्थ ईस्ट में जाकर नौकरी कर रहा है।

दमोह में CMHO ने दर्ज कराई FIR

गौरतलब है कि दमोह के मिशन अस्पताल में एक के बाद एक सात मरीजों की हार्ट सर्जरी के बाद मौत हो गई है। इस मामले में दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। FIR में बताया गया है कि डॉक्टर की डिग्री फर्जी है।

वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम इस मामले की जांच कर रही है। इसके अलावा दमोह जिले के स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी एक अलग जांच समिति बनाई गई है। बताया जा रहा है कि यह कथित डॉक्टर खुद को ‘लंदन से डिग्री धारक कार्डियोलॉजिस्ट’ बताकर अस्पताल में सेवाएं दे रहा था। जैसे ही पूछताछ और जांच की प्रक्रिया शुरू हुई, आरोपी डॉक्टर फरार हो गया।

मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने किया खुलासा

कथित डॉ यादव के फर्जीवाड़े का खुलासा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने 4 अप्रैल को सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से किया, जिसके बाद मध्यप्रदेश के पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया फर्जीवाड़ा

दरअसल मध्य प्रदेश के दमोह जिला में स्थित मिशन अस्पताल में हुए इस मामले की गंभीरता से जांच की जाये तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव ने खुद को डॉ एन जॉन केम बताया जबकि विदेश में इस नाम के दूसरे डॉक्टर हैं।

इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन को पता था कि उसका स्टेट एमसीआई में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। फिर भी उसे नौकरी पर रखा गया। उसने यहां मात्र 43 दिन काम किया और बतौर कॉर्डियक स्पेशलिस्ट हार्ट के 8 मरीजों की सर्जरी कर डाली। इसमें से 7 की मौत हो गई। यह मामला विश्व पटल तक पहुंच गया है। लंदन के कॉर्डियोलॉजिस्ट ने इस मामले में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एनकेम जोन को फर्जी डॉक्टर बताया है। उन्होंने ट्वीट में असली डॉक्टर की तस्वीर भी पोस्ट की।

इस डॉक्टर ने 8 मरीजों का किया था ऑपरेशन

बता दें कि सोमवार को राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम इस फर्जीवाड़े की जांच करने दमोह पहुंच गई है। दरअसल, दमोह मिशन अस्पताल में फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्ट एनकेम जोन ने 7 नहीं बल्कि 8 मरीजों की हार्ट की सर्जरी कर डाली थी। दिल के आपरेशन के बाद 7 मरीजों की मौत के बाद हड़कंप मच गया था। फर्जी डॉक्टर ने बीते 1 जनवरी 2025 को दमोह के मिशन अस्पताल में बतौर कार्डियोलॉजिस्ट ज्वाइन किया था। 12 फरवरी के बाद से वह अस्पताल नहीं आया। इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधक के तौर पर काम रहे विजय लैम्बर्ट भी फर्जी डॉक्टर के फरार होने के बाद से गायब बताए जा रहे हैं। शुरूआती जांच में फर्जी डॉक्टर उत्तराखंड मूल का रहने वाला बताया जा रहा है।

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