कोरबा। नगर पालिक निगम कोरबा द्वारा एक्सिस बैंक में CMS (Case management Services) के माध्यम से जमा कराई गई रकम में से 79 लाख रूपये कम निकले। इस मामले की जांच में यह खुलासा हुआ कि बैंक के जो कर्मचारी रकम लेने निगम के कार्यालय आया करते थे, उन्होंने ही रुपयों का गबन कर लिया है। इस मामले को उजागर हुए 5 महीने के बीत जाने के बावजूद जब बैंक प्रबंधन ने रकम नहीं लौटाई तब निगम प्रशासन ने बैंक के खिलाफ FIR के लिए पुलिस को पत्र लिखा है।
नगर निगम कोरबा का बैंक अकाउंट एक्सिस बैंक की पावर हाउस रोड कोरबा स्थित शाखा में है, जहां हर रोज नगर पालिक निगम कोरबा द्वारा राजस्व वसूली से प्राप्त नगद वसूली राशि CMS (Case management Services) के माध्यम से नगद जमा की जाती थी। इस सिस्टम के तहत रकम खुद बैंक के स्टाफ आकर ले जाया करते थे। इस दौरान स्टाफ बाकायदा जमा पर्ची दे जाया करते थे और अगले दिन वे बैंक से अकाउंट का स्टेटमेंट भी लाकर दिया करते थे। हालांकि निगम के एकाउंट सेक्शन ने कभी गंभीरता से इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि बैंक स्टाफ को दी गई पूरी रकम जमा हो रही है या नहीं। इस बीच निगम के अकाउंट अफसर रिटायर होते चले गए। वर्ष 2024 में जब नए अफसर ने यहां का कार्यभार संभाला और बैंक अकाउंट का मिलान किया तब पता चला कि वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में जमा की गई राशि में लाखों रुपये का अंतर है। निगम आयुक्त आशुतोष पांडेय ने इस गड़बड़ी के पकड़े जाने के बाद बैंक प्रबंधन से पत्राचार किया और अंतर की राशि को खाते में जमा करने को कहा।
दो सालों तक रकम बटोरते रहे स्टाफ
नगर निगम कोरबा में बैंक द्वारा जारी स्टेटमेंट और नगद में दी गई राशि का मिलान करने पर पता चला कि वर्ष 2022-23 में सीएमएस के माध्यम से जमा कुल राशि और बैंक स्टेटमेंट के आधार पर बैंक में जमा कुल राशि में 49 लाख 52 हजार 840 रुपये का अंतर पाया गया। इसी तरह वर्ष 2023-24 में सीएमएस के माध्यम से जमा कुल राशि और बैंक स्टेटमेंट के आधार पर बैंक में जमा कुल राशि में 29 लाख 47 हजार 939 रुपये का अंतर पाया गया। दोनों वर्ष को मिलाकर यह अंतर राशि 79 लाख 779 रुपये होते हैं। इस तरह लगातार दो वर्ष तक लाखों की हेराफेरी रही और निगम का अकाउंट सेक्शन यूं ही सोता रहा।
बैंक स्टाफ का फर्जीवाड़ा आया सामने
निगम की ओर से पत्र मिलने के बाद जब एक्सिस बैंक के प्रबंधक अरुण मिश्रा ने मामले की जांच की तब पता चला कि जो कर्मचारी निगम में रूपये लेने जाते थे उन्होंने ही रुपयों का गबन किया है। पता चला है कि दो कर्मचारी रूपये लेने आया करते थे और उन्होंने ही फर्जीवाड़ा करके लंबे अंतराल में रुपयों का गबन किया है। वे पर्ची में पूरी रकम जमा करना दिखाते और बैंक में काम रकम जमा करते थे। बताया जाता है कि बैंक स्टाफ ने रुपयों का गबन करने की बात स्वीकार कर ली और एक निश्चित समय में पूरी रकम लौटाने की बात प्रबंधन को लिख कर दी। बताया जाता है कि पूर्व प्रबंधक के तबादले के बाद चेतन नामक अफसर यहां पदस्थ हैं।
5 माह बाद भी बैंक प्रबंधन ने नहीं दिखाई गंभीरता
इस बीच नगर निगम आयुक्त ने अंतर की राशि रुपये 79 लाख 779 रुपए एवं विलंब से राशि जमा किये जाने से हुई ब्याज की राशि गणना कर तत्काल निगम के उक्त खाता में जमा करने के लिए बैंक प्रबंधन को पत्र लिखा। मगर बैंक प्रबंधन ने स्टाफ द्वारा लिखित में गबन की स्वीकारोक्ति और रकम लौटाने के संबंध में दिए गए पत्र को नगर निगम को सौंपते हुए इसके लिए कुछ समय मांगा। मगर इस वाकये को लगभग 5 माह बीत गए और बैंक द्वारा आज तक नगर पालिक निगम कोरबा के उक्त खाते में राशि जमा नहीं करायी गयी है। इसे लेकर अब निगम प्रशासन ने कड़ा रवैया अपनाया है।
पुलिस को लिखा FIR के लिए
निगम प्रशासन ने इस मामले को लेकर पुलिस को पत्र लिखकर घटनाक्रम से अवगत कराया है और उल्लेख किया है कि बैंक के रवैये से ज्ञात होता है कि शाखा प्रबंधक एवं बैंक कैशियर द्वारा उक्त अंतर की राशि को निगम खाते में जमा नहीं कराया जाकर उक्त राशि का गबन किया गया है। इस संबंध में प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जाये। अब बारी पुलिस की है। उम्मीद की जा रही है पुलिस जल्द ही इस मामले में FIR दर्ज करते हुए आगे की कार्रवाई करेगी। कहा जा रहा है कि इस मामले में बैंक के कलेक्शन स्टाफ के अलावा दूसरे अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है।