भोपाल। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित परिवहन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। अब तक तीनों आरोपी पुलिस हिरासत में जेल में थे।
पूछताछ के बाद की गिरफ्तारी
राज्य में हुए परिवहन घोटाले में लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को पहले गिरफ्तार किया था। उसके बाद रिमांड पर लेकर पूछताछ की और उसके बाद से सभी हिरासत में जेल में हैं।
इसी दौरान ईडी ने तीन दिनों तक जेल में जाकर तीनों से पूछताछ की और उसके बाद गिरफ्तारी की। ईडी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर जानकारी दी है कि ईडी, भोपाल जोनल कार्यालय ने पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 10 फरवरी को तीन व्यक्तियों सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को गिरफ्तार किया है।
वहीं, ईडी ने तीनों ही आरोपियों को विशेष अदालत में पेश किया, जहां से ईडी तीनों आरोपियों को रिमांड पर लेना चाह रही है ताकि पूछताछ की जा सके। ईडी ने यह जांच मध्य प्रदेश लोकायुक्त, विशेष पुलिस स्थापना भोपाल द्वार दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। एफआईआर के मुताबिक, परिवहन विभाग, भोपाल में सेवानिवृत कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा ने अपने परिवार के सदस्यों और संबंधित कंपनियों के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की थी।
छापे में मिली अकूत संपत्ति
बता दें कि इस मामले में बीते दिनों आयकर विभाग की टीम ने भोपाल में छापेमारी की थी। इस दौरान चेतन सिंह गौड़ की गाड़ी से 52 किलोग्राम सोने की बार और 11 करोड़ रुपये नकद जब्त किए थे। चेतन सिंह को सौरभ शर्मा का करीबी सहयोगी बताया जा रहा है। 27 दिसंबर 2024 और 17 जनवरी 2025 को ईडी ने सौरभ शर्मा, उनके परिवार और सहयोगियों के ठिकाने पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, अचल संपत्तियों के कागजाद और कई कंपनियों में किए गए निवेश से जुड़े दस्तावेज ईडी ने जब्त किए थे।
परिवार और मित्रों के नाम करोड़ों की प्रॉपर्टी
जांच में यह सामने आया कि सौरभ शर्मा ने अपने परिवार, मित्रों और कंपनियों के नाम पर लगभग 25 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति खरीदी थी। इसके अलावा, अब तक 10 करोड़ रुपये की चल संपत्ति को जब्त या फ्रीज किया जा चुका है। जांच में पता चला कि सौरभ शर्मा को 2015 में एमपी परिवहन विभाग में आरटीओ कांस्टेबल की नौकरी मिली थी। इसके बाद उसने अपने सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल के साथ मिलकर कई फर्जी कंपनियां बनाई और उनके बैंक खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया। इस पैसे का उपयोग उसने अपने परिवार, दोस्तों और कंपनियों के नाम पर संपत्ति खरीदने में किया। फिलहाल ईडी की जांच जारी है और इस मामले में और भी कई खुलासे होने की संभावना है।