7 साल की अदालती लड़ाई के बाद दोबार हासिल की थी नौकरी

बिलासपुर। महासमुंद में पदस्थ कनिष्ठ न्यायिक सेवा अधिकारी आकांक्षा भारद्वाज की सेवाओं को विधि एवं विधायी विभाग ने हाईकोर्ट की अनुशंसा पर समाप्त कर दिया है। पिछले महीने भारद्वाज ने सिंगल बेंच में अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ दायर मुकदमा जीतने के बाद पुनः बहाली हासिल की थी।

सिंगल बेंच ने बर्खास्तगी रद्द करने का दिया था फैसला

गौरतलब है कि आकांक्षा भारद्वाज को सात वर्ष पहले बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर उन्हें सीनियर सिविल जज (2) के पद पर पुनः नियुक्ति दी थी। 3 दिसंबर 2024 को उन्हें महासमुंद में पदस्थ किया गया था। अब राज्य सरकार ने 14 जनवरी को हाई कोर्ट की अनुशंसा पर आकांक्षा भारद्वाज की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ की थी शिकायत

आकांक्षा भारद्वाज का चयन 2012-13 में सिविल जज (प्रवेश स्तर) के पद के लिए हुआ था। उन्हें 12 दिसंबर 2013 को दो साल की परिवीक्षा पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को जॉइन किया। प्रशिक्षण के बाद, अगस्त 2014 में उन्हें अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। उनका आरोप था कि जब वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों से न्यायिक मामलों में मार्गदर्शन लेने जाती थीं, तो उनका व्यवहार अनुचित होता था, जिसके बाद उन्होंने उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की। इसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।

बर्खास्तगी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने 9 फरवरी 2017 को जारी बर्खास्तगी आदेश रद्द किया और निर्देश दिया कि उन्हें पुराने वेतन के बिना सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल किया जाए। इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट और विधि एवं विधायी विभाग ने अपील की थी।

हाईकोर्ट की अनुशंसा पर सेवा समाप्ति का दिया आदेश

अब, 14 जनवरी को अतिरिक्त सचिव दीपक कुमार देशलहरे ने उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया है। दरअसल 6 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने उनकी सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की थी, जिस पर विधि एवं विधायी विभाग ने अंतिम आदेश जारी किया।

एक और जज इसी तरह किये गए थे बर्खास्त

बता दें कि छत्तीसढ़ में आकांक्षा भारद्वाज की तरह ही जज गणेश राम बर्मन को भी बर्खास्त करने के बाद दोबारा बहाल किया गया। मगर बाद में हाईकोर्ट की अनुशंसा पर उन्हें दोबारा बर्खास्त भी कर दिया गया। इन दोनों जजों को दोबारा क्यों बर्खास्त किया गया, इसकी वजह अब तक सामने नहीं आ सकी है।

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