रायपुर/दुर्ग। CGMSC के अरबों के घोटाले को लेकर आज ACB-EOW ने दिन भर सर्च ऑपरेशन चलाया। छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड रायपुर के अधिकारीगण एवं संचालनालय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा मोक्षित कार्पोरेशन, गंज पारा दुर्ग, सीबी कॉरपोरेशन, जी.ई. रोड दुर्ग, रिकार्डर्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, एचएसआईआईडीसी, पंचकुला हरियाणा एवं श्री शारदा इन्डस्ट्रीज, ग्राम तर्रा, तहसील धरसीवा रायपुर के साथ आपराधिक षडयंत्र कर पूल-टेंडरिंग कर, स्वास्थ्य विभाग में उपयोग होने वाले रीजेंट एवं मशीन की बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर विक्रय कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाया।

घोटाले में प्रमुख भूमिका है ‘मोक्षित’ की
मिली जानकारी के मुताबिक दुर्ग के मोक्षित कॉरपोरेशन में EOW-एसीबी ने दबिश दी। इस फर्म के संचालकों शांतिलाल चोपड़ा और उनके बेटे शशांक चोपड़ा के घर और ऑफिस में सर्चिंग जारी है। मेडिकल इक्विपमेंट की सप्लाई के अलावा इससे जुड़े अन्य व्यवसाय चोपड़ा फैमिली करती है। यह एक बड़ी फर्म है और छत्तीसगढ़ के पिछले शासनकाल में इस फर्म के अलावा कुछ अन्य फर्म ने बड़ी सप्लाई स्वास्थ्य विभाग में CGMSC के जरिये की थी। इस दौरान जो सामग्रियां खरीदी गई उनकी कीमत सामान्य दर से कई गुना ज्यादा भुगतान की गई।

मोक्षित ग्रुप ऑफ कम्पनीज की ये हैं फर्म्स
बता दें कि मोक्षित ग्रुप ऑफ कम्पनीज के अधीन मोक्षित कारपोरेशन, मोक्षित मेडिकेयर प्रा. लि., मोक्षित इंफ्रा एंड डेव. और मोक्षित निरामयम नाम के फर्म संचालित हैं। जानकारी के मुताबिक 2 दर्जन एसीबी और ईओडब्ल्यू के अधिकारी छापे की कार्रवाई में शामिल हैं। दुर्ग के पुलगांव चौक स्थित ऑफिस और दुर्ग कोर्ट के पीछे खंडेलवाल कॉलोनी स्थित घर समेत सभी भाईयों के घर पर दबिश पड़ी है। सिद्धार्थ चौपड़ा और उनके तीनों भाईयों के ठिकानों पर भी दबिश दी गई है।
इनके यहां भी पड़े छापे
EOW/ACB ने इस गघोटाले में जिन्हें आरोपी बनाया है, उनमें CGMSC और संचालनालय स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के आलावा CB कॉरपोरेशन, जी.ई. रोड दुर्ग, रिकार्डर्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, एचएसआईआईडीसी, पंचकुला हरियाणा और श्री शारदा इन्डस्ट्रीज, ग्राम तर्रा, तहसील धरसीवा रायपुर शामिल हैं, इन सभी फर्म्स के अलावा संबंधित अफसरों के यहां आज छापे पड़े हैं।
बजट सत्र में मामले उठाने के बाद भी हुआ भुगतान
CGMSC में अब तक के हुए इस सबसे बड़े घोटाले का खुलासा CAG की जांच में हुआ था। CAG ने इसमें 660 करोड़ के घोटाले की आशंका जताई थी। वहीं जब यह मामला पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में उठाया गया था तब इसके बकाये के भुगतान को रोकने की बात स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा कही गई थी। मगर इस मामले को दबाने के लिए जांच में उन अफसरों को शामिल किया गया जो इस घोटाले में शामिल थे, वहीं लगभग 400 करोड़ का जो भुगतान रोकना था उसे भी कर दिया गया।

सत्तापक्ष के विधायक ने उठाया मामला
बजट सत्र के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अंतिम दिन ध्यानाकर्षण के दौरान सत्ता पक्ष के विधायक धरम लाल कौशिक ने आरोप लगाया कि बिना जरूरत के ही रीजेंट की सप्लाई CGMSC द्वारा की गयी। इस दौरान भाजपा विधायकों ने दवा खरीदी को लेकर पिछली सरकार में किया गया सुनियोजित भ्रष्टाचार बताया।
करोड़ों का रीजेंट हुआ बर्बाद
इसके जवाब में मंत्री ने इस बात का स्वीकार किया कि 28 करोड़ का रीजेंट बर्बाद हुआ है, आने वाले दिनों में ये और भी खराब हो सकता है। इस दौरान भाजपा विधायकों की मांग पर सदन में मंत्री ने EOW जांच की घोषणा की। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने घोषणा की कि रिजेंट खरीदी की जांच EOW से कराई जाएगी। मोक्षित कंपनी की रिजेंट सप्लाई की जांच होगी।
4 दिन पहले ही हुआ है FIR
बताते चलें कि CGMSC में हुए घोटाले में EOW/ACB द्वारा FIR 22 जनवरी को दर्ज कराई गई है। विभाग के DSP संजय दिनकर देवस्थल ने यह FIR दर्ज कराई है और इस घोटाले की जांच का जिम्मा DSP लोकेश देवांगन को सौंपा गया है। पढ़िए इस FIR को और जानिये, किस तरह यह घोटाला हुआ है :





