- जगदलपुर। पत्रकार मुकेश चंद्राकार की हत्या के आरोपी और उसका चचेरे भाई सुरेश चंद्राकर 2010 तक बीजापुर पुलिस विभाग में SPO था। बाद में यह नौकरी छोड़कर एक अधिकारी की मदद से उसने ठेकेदारी शुरू कर दी और देखते-ही-देखते वह 500 करोड़ का मालिक बन गया। जानिए क्या है इस अपराधी की तथा-कथा…
बस्तर संभाग के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकार हत्याकांड से पूरे प्रदेश में तहलका मच गया है। मुकेश का शव उसके चचेरे भाई ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के फार्म हाउस के सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। बस्तर के बड़े ठेकेदारों में शामिल सुरेश चंद्राकर के बारे में एक और खुलासा यह हुआ है कि वह सुरेश चंद्राकर नहीं चंद्राकार है। वह महाराष्ट्र के दलित समुदाय से ताल्लुकात रखता है।
सलवा जुडूम के दौरान बना SPO
डेढ़ दशक पहले तक सुरेश मामूली व्यक्ति था। तब सड़वा जुलुम का और था। जीवन यापन के लिए उसने एसपीओ याने स्पेशल पुलिस अधिकारी की नौकरी ज्वाईन किया था। 2005 में जब नक्सलियों का तांडव चरम पर था, तब सरकार ने बस्तर के सघन इलाको की जानकारी रखने वाले युवाओं को एसपीओ बनाया था। उन्हें 10 हजार रुपए मानदेय दिया जाता था। इसमें खासतौर से उन्हें सलेक्ट किया जाता था, जिनका नक्सलियों से पुराना कनेक्शन रहा हो। ताकि, पुलिस को माओवादियों की जानकारी मिल सके।
मगर एसपीओ रहने के दौरान सुरेश चंद्राकार की सक्रियता देखकर एक अधिकारी ने उसे सुझाया कि यह SPO की नौकरी छोड़ कर ठेकेदारी करे। सुरेश को इस अधिकारी ने काम दिलाया और आर्थिक मदद भी की।
हेलीकॉप्टर में लेकर गया बारात
ठेकेदार बनने के बाद पांच साल में ही सुरेश ने अपने आपको को इतना मजबूत कर लिया कि हेलिकाप्टर से बारात लेकर गया और अपनी पत्नी को विवाह कर लाया था। तब यह खबर सुर्खिया बनी थी। सुरेश को बस्तर में करोड़ों के सड़क निर्माण के काम मिलने लगे।
मुकेश से खबर को लेकर हुआ विवाद
सुरेश का चेचेरा भाई पत्रकार मुकेश चंद्राकार से खबर को लेकर विवाद हुआ, वह भी सड़क निर्माण का ही मामला था, जिसमें बिना काम किए ही PWD के अधिकारियों ने सुरेश को पेमेंट कर दिया था। बताते हैं, किन्हीं मसले पर दोनों में दरारें आई और मुकेश ने यह खबर चलवा दी।
सुरेश चंद्राकार 14 साल में ही बस्तर का इतना बड़ा आसामी बन गया था कि उसे अपने चचेरे भाई की हत्या कराने में भी गुरेज नहीं हुआ। आखिर उसके फार्म हाउस में ही हत्या हुई है और आरोपी ने सुरेश का भी नाम लिया है।
बिना काम का दुगुना भुगतान कर दिया
बस्तर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। चंद्राकर की हत्या के आरोपियों पर सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार करने का आरोप है। दावा किया जा रहा है कि 56 करोड़ की सड़क के लिए ठेकेदार को सरकार की तरफ से 112 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। वह भी ऐसी सड़क के लिए जिसका निर्माण केवल कागजों में हुआ। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पहली ही बारिश में नई सड़क गायब हो गई। इस भ्रष्टाचार को पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने उजागर किया था। माना जा रहा है कि यही चंद्राकर की हत्या का कारण बना।
बस्तर में टेंडर की आड़ होता है करोड़ों का घोटाला
नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा वहां टेंडर न केवल ज्यादा रहता है बल्कि काम करने वाले ठेकेदारों को कई तरह की सुविधा और राहत भी मिलती है। ऐसे में कई बार आधे-अधूरे काम के बावजूद भुगतान पूरा हो जाता है। कई ऐसे मामले भी आए हैं, जहां काम हुआ ही नहीं और भुगतान पूरा कर दिया गया।
बताया जाता है कि इस भ्रष्टाचार का हिस्सा नक्सलियों तक भी पहुंचता है। पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने जो मामला उजागर किया, उसमें भी इसी तरह का खेल हुआ है। बीजापुर के गंगालूर से नेलशनार सड़क बनाने का टेंडर हुआ था। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने ठेकेदार के साथ कुल 16 अनुबंध किए। इन 16 अनुबंध में कुल लागत 56 करोड़ की थी। सड़क की गुणवत्ता बेहद घटिया थी। इसके बावजूद ठेकेदार ने अफसरों के साथ सांठगांठ करके लागत बढ़ा कर 112 करोड़ करा लिया। कथित तौर पर मई-जून 2024 में बनकर तैयार हुई यह सड़क जुलाई में हुई बारिश में पूरी तरह उखड़ गई। तब तक प्रदेश में सत्ता बदल चुकी थी। पत्रकार चंद्राकर ने यह मामला उजागार किया, तो सरकार ने जांच बैठा दी। इससे ठेकेदार भड़क गया और उसने अपने रिश्ते में ही भाई मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी।