– आरोपियों के खातों में 2 करोड़ 85 लाख का हुआ ट्रांजेक्शन
– खाताधारकों और किराये पर खाता लेने वाले हुए गिरफ्तार
– जानिए क्या होता है म्यूल अकाउंट
दुर्ग। देश भर में चल रही ऑनलाइन ठगी का छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों से कनेक्शन उजागर हो रहा है। दरअसल साइबर फ्रॉड कथित एजेंटों के जरिये सीधे-सादे लोगों से बैंक खाते खुलवा रहे हैं। इसके एवज में या तो उन्हें किराया दिया जा रहा है या फिर एकमुश्त कमीशन। गृह मंत्रालय के निर्देश पर अब ऐसे ही खाताधारकों और एजेंटो को पकड़ा जा रहा है। पिछले दिनों राजधानी रायपुर में ऐसा ही मामला उजागर हुआ, जिसमें राजस्थान के साइबर फ्रॉड सहित कुल 68 लोगों को गिरफ्तार किया गया, इसके बाद 4 अन्य लोगों को भी पकड़ा गया। इसके बाद बिलासपुर में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई। अबकी बार दुर्ग पुलिस ने अभियान चलकर 35 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
खातों में पौने 3 करोड़ का हुआ है ट्रांजेक्शन
बैंक खातों में ठगी के पैसों का हेरफेर म्यूल अकाउंट की तस्दीक कर लेने के बाद एसीसीयू दुर्ग एवं थाना मोहन नगर पुलिस टीम ने 35 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की। अब तक 2 करोड़ 85 लाख का ट्रांजेक्शन होना पाया गया है। इनमे 15 खाताधारकों एवं 20 खाता उपलब्ध कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
कर्नाटका बैंक में खुलवाए गए थे खाते
पुलिस ने बताया कि भारत सरकार गृह मंत्रालय द्वारा संचालित समन्वय पोर्टल के माध्यम से थाना मोहन नगर क्षेत्र के कर्नाटका बैंक शाखा स्टेशन रोड दुर्ग म्यूल एकांउट खाताधारकों का अवलोकन पर पाया गया कि कर्नाटका बैंक शाखा, ग्राउंड फ्लोर, ज्वाइन हैंड्स, स्टेशन रोड में कुल 111 कर्नाटका बैंक खाताधारकों के एकाउंट में देश के अलग-अलग राज्यों में अनेक लोगों से हुए सायबर फ्राड का कुल रकम करीब 86,33,247 रुपये को 111 खातों में प्राप्त किया गया है। अवैध धन लाभ अर्जित करने के लिए बैंक खातों का इस्तेमाल कर रकम प्राप्त करना पाया गया तथा उन खातो में ऑनलाइन ठगी के रकम प्राप्त हुई है। इन खातों के संबंध में दिगर राज्यों से ऑनलाइन शिकायत पंजीबद्ध होना पाया गया है।
संदिग्ध उक्त कुल 111 बैंक खातों का उपयोग ऑनलाइन ठगी के रकम प्राप्त करने में प्रयोग होने व अवैध धन लाभ अर्जित करने के लिए उपयोग में लिया जाना तथा उपरोक्त खाताधारकों द्वारा यह जानते हुए कि उक्त रकम छल से प्राप्त किया गया है तथा कई खाते जिसमें साईबर फ्राड के पैसे एक से अधिक बार जमा हुए है। उपरोक्त खाता धारको द्वारा अपराधिक षडयंत्र कर साईबर फ्राड कर अवैध धन अर्जित करना पाए जाने से उपरोक्त कुल 111 कर्नाटका बैंक म्यूल खाताधारकों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। आरोपियों ने देश के अलग अलग हिस्सों से साइबर ठगी की राशि को अपने एकाउंट में लेना स्वीकार किया। बैंक खाता को किराये पर देने एवं किराये पर लेने वाले के उपर भी कार्रवाई की गई।
आरोपी खाताधारकों के नाम
प्रदीप कुमार महतो सुपेला, निखार मेश्राम दुर्ग, सुनील बारिक खुर्सीपार, सौरम कोठारी भिलाई, कमलेश साहू अंजोरा, सरिता उम्र 24 खुर्सीपार, सुधा मानिकपुरी दुर्ग, बी बड़ी रवि खुर्सीपार, अनुकुल सरावनी भिलाई, प्रेम पांडेय दुर्ग, एकता पांडेय दुर्ग, कालू हरपाल खुर्सीपार, प्रवीण कुमार भिलाई।
खाता किराये पर उपलब्ध कराने वाले आरोपी
श्वेता दुबे, टुकेवर ठाकुर, उमेंद्र पटेल शुभम रंगारी, विमल कुमार साहू, एमडी आरिफ, यशवंत टोडल, अभय प्रसाद साहू, रितेन पांडे, अमृत पाल सिंह, रंजय सिंह, अमन कुमार सिंह, अथर्व जायसवाल, आयुष सोनी, राहुल वर्मा, रॉबिन लकड़ा, रितेश जेकब, कंचन एक्का।
इन आरोपियों के खिलाफ धारा 317 ( 2), 317 (4), 318 (4), 61 (2) (क) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। आरोपियों को न्यायिक रिमाण्ड पर जेल भेजा गया है। उक्त जानकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा एवं नगर पुलिस अधीक्षक चिराग जैन ने दी।
क्या होता है म्यूल अकाउंट
0 साइबर अपराधियों के गिरोहों द्वारा ‘म्यूल’ बैंक खातों का उपयोग करते हैं।
0 म्यूल अकाउंट वह अकाउंट होते हैं, जो अपराधी किसी निर्दोष व्यक्ति के नाम पर खोलते हैं।
0 इसमें चालू और बचत खाते इंटरनेट मीडिया, टेलीग्राम और फेसबुक के माध्यम से खोजे जाते हैं।
0 इन बैंक खाते से पैसा कहां और कितनी बार ट्रांसफर हुआ, इसके बारे में जांच करने में काफी समय लगता है या फिर कठिन भी हो सकता है।
0 इन खातों में जालसाजी की रकम आने के बाद साइबर अपराधी यूपीआई से बिना बैंक जाए पैसे को एक से दूसरे अकाउंट में मिनटों में ट्रांसफर करते हैं।
0 इन म्यूल अकाउंट का उपयोग साइबर अपराधियों द्वारा मनी लांन्ड्रिग के लिए किया जा रहा है।
0 ये खाते सेल कंपनियों, इंटरप्राइज या अन्य निर्दोष व्यक्तियों के होते हैं।
0 इन म्यूल खातों को विदेशों से भी संचालित किए जाने की बातें सामने आ चुकी है।
0 म्यूल खातों का उपयोग कर अवैध पेमेंट गेटवे बनाया जाता है जिसे आपराधिक सिंडिकेट को दिया जाता है।
0 आपराधिक सिंडिकेट को फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कैम साइटों, सट्टेबाजी और जुए से जुड़ी वेबसाइटों, फर्जी स्टाक ट्रेडिंग जैसे अवैध प्लेटफार्म पर जमा धनराशि प्राप्त करने के लिए दिया जाता है
0 जैसे ही ठगी की रकम आती है, उसे तुरंत दूसरे खाते में भेज दिया जाता है।