कवर्धा। पुलिस ने स्टेट बैंक के चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन सभी के ऊपर मृत हो चुके लोगों के बंद पड़े खातों को दुबारा एक्टिवेट करके लाखों रुपये फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। खाताधारकों के परिजनों को जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो पुलिस में इसकी शिकायत की। इसके बाद मामले का खुलासा हुआ है।

इस तरह किया फर्जीवाड़ा

पुलिस के अनुसार बोड़ला SBI बैंक के चार अधिकारी ब्रांच में संचालित मृतकों के सालों से बंद पड़े हुए खातों को फर्जी तरीके से एक्टिवेट करते थे। यही नहीं मृतकों के खातों से लाखों रुपये की हेराफिरी भी की गई है। 25 दिसंबर से 17 जनवरी तक खातेदारों के रिश्तेदार जब सालों बाद बैंक गए तब उन्हें पता चला कि फर्जीवाड़ा करके उनके परिजन के खातों की राशि निकाल ली गई है। जब मामले की जानकारी जब परिजन को हुई तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की।

पुलिस पहुंची आरोपियों तक

पुलिस ने खोजबीन शुरू की तो पता चला कि जो बैंक खाते सालों से बंद पड़े रहते हैं उसकी राशि आरबीआई के पास चली जाती थी। जिसे बैंक के अधिकारी चालाकी से खाते को पुनः एक्टिव कर उसमें से राशि आहरण कर लेते थे। मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने SBI बैंक के चार अधिकारियों को अलग-अलग स्थान से गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक ऐसे कई खाते हैं जिनकी राशि इसी तरह से आहरित कर ली जाती है। सालों बीत जाने के कारण वास्तविक खातेदार भी इन खातों की पड़ताल नहीं करते हैं। जिसका लाभ बैंक के ही अधिकारी इसी तरह से उठाते हैं।

इन सभी के मामले हुए उजागर

जांच के बाद जो मामला सामने आया है उसके अनुसार मंगली बाई के डेड खाते से 82 हजार रुपए निकाली गई है। इसके लिए मंगली बाई के नाम पर फर्जी ATM कार्ड बनवाया गया। इस खाते से 40 हजार नकद और 40 हजार फूल सिंह नामक व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किए गए। ये ग्रीन चैनल के माध्यम से निकाले गए। इसके अलावा छितर सिंह के फिक्स्ड डिपॉजिट की 2,40,000 की राशि को मंगली बाई के खाते में ट्रांसफर कर निकाला गया है।

बता दें कि इस फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी प्रतीक उइके को पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था। इसके बाद आरोपी संजय प्रकाश जरीके, सूरज शर्मा और निशांत कुमार को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है।

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