रायपुर। राजनांदगांव जिले में पुलिस आरक्षक भर्ती में गड़बड़ी उजागर हुई है। इसके बाद वन विभाग में हुई वनरक्षकों की भर्ती भी संदेहों के घेरे में आ गई है। यहां भी उम्मीदवारों का फिजिकल टेस्ट टाइमिंग टेक्नोलॉजी कंपनी के उपकरणों से लिया गया है। जिस तरह की गड़बड़ी आरक्षक भर्ती में हुई है उसे देखते हुए वन विभाग में भी तकनीकी जांच शुरू किये जाने की जानकारी सामने आयी है।

वन विभाग के 6 सर्किल के 17 डिवीजन में 1484 वनरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई और इसमें 4 लाख 32 हजार 841 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया। इनमें सर्वाधिक उम्मीदवार बिलासपुर सर्किल में हुई भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए।

तकनीकी खामियों से हुई थी परेशानी

वन विभाग में भी भर्ती प्रक्रिया के तहत दौड़, गोला फेंक और लंबी कूद जैसे इवेंट्स में गड़बड़ी रोकने के लिए टाइमिंग टेक्नोलॉजी के उपकरणों का सहारा लिया गया था। मगर शारीरिक परीक्षण के दौरान कई स्थानों पर पहले ही दिन अभ्यर्थियों को तकनीकी खामियों से जूझना पड़ा था। कोरबा जिले के कटघोरा में हुई भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों ने तकनीकी खामियों पर नाराजगी जताई थी।

दरअसल लॉन्ग जंप के इवेंट में पहले अटेम्प्ट में ही सफल होने के बाद भी कई अभ्यर्थियों को दोबारा कूदने को कहा गया। दलील दी गई कि तकनीकी खामियों के चलते ऐसा करना पड़ा। इससे साफ था कि टाइमिंग टेक्नोलॉजी के उपकरण परफेक्ट नहीं थे।

‘9 बार अटेम्प्ट कराया गया महिला अभ्यर्थी का’

कटघोरा में हुए फिजिकल टेस्ट में शामिल महिला अभ्यर्थी जमुना सारथी ने बताया कि हमारे बैच को दोबारा कूदने को कहा गया। तकनीकी खामी के कारण मैं दौड़ने गई, तब मुझे फिर रोक दिया गया। अधिकतम तीन अटेम्प्ट ही नियमानुसार मान्य हैं, लेकिन इस गड़बड़ी के कारण मैंने 9वें अटेम्प्ट में अपना इवेंट कंप्लीट किया। मेरा स्टैमिना पूरी तरह से डाउन हो गया था। थक चुकी थी, इसलिए मेरे अंक कम हो गए। काफी समय से मैं इस भर्ती प्रक्रिया का इंतजार कर रही थी, लेकिन गड़बड़ी के कारण मेरे प्रदर्शन पर असर पड़ा। जिससे मैं ही नहीं मेरे बैच की काफी लड़कियों को इस परेशानी से गुजरना पड़ा।

गोमती नामक महिला अभ्यर्थी ने बताया कि जब मैने गोला फेंका तो इसकी दूरी के आधार पर मशीन से 20 अंक मिले। बाद में जब मुझे रिजल्ट दिया गया, तब पता चला कि 15 ही अंक मिले हैं। मुझे बताया गया कि तकनीकी खामी की वजह से ऐसा हो रहा है। दोबारा फेंकने को भी कहा गया। इससे प्रदर्शन पर असर पड़ा है। इस तरह की गड़बड़ियों की शिकायत भी की। तब मुझे वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि जब रिजल्ट निकलेगा, तब आपत्ति लगा देना। जिम्मेदार अधिकारियों का इस तरह कहना जिम्मेदारी से बचना कहा जायेगा।

इस तरह के मामले में कटघोरा DFO कुमार निशांत ने तब मीडिया से कहा कि पहले दिन मशीन में कुछ तकनीकी समस्या आ गई थी। किसी का नुकसान ना हो इसलिए अभ्यर्थियों को दोबारा अटेम्प्ट करने को कहा गया। इसमें स्टेमिना घटने वाली कोई बात नहीं है। उनका कहना था कि एक वनरक्षक का स्टेमिना हमेशा बरकरार रहना चाहिए।

अभ्यर्थियों का रात में कराया गया फिजिकल टेस्ट

बीजापुर डिवीजन में चल रही वन रक्षक की भर्ती प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में रही। यहां अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट के लिए सुबह सात बजे बुलाया गया था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने भर्ती नियमों की अवहेलना करते हुए शाम सात बजे से टेस्ट लिया। देर से और कम समय में कराए गए इस शारीरिक परीक्षण को लेकर अभ्यर्थियों ने गड़बड़ी की आशंका जताई है।

फिजिकल टेस्ट नियम अनुसार दिन की रौशनी में होना चाहिए था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने फिजिकल टेस्ट करने के लिए सुबह से शाम तक बिना किसी वजह के व्यवस्था को रोके रखा। फिर देर शाम करीबन 7 बजे से यह फिजिकल टेस्ट कराया गया। इस दौरान पत्रकारों को कवरेज करने से रोका गया और गड़बड़ी की खबरों को दबाने का भी प्रयास किया गया।

अब वन विभाग ने भी शुरू की जांच

इस तरह वन विभाग में वन रक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी तकनिकी खामियों की वजह से संदेह के दायरे में है। पुलिस भर्ती में गड़बड़ी सामने आने के बाद अब टाइमिंग टेक्नालॉजी कंपनी के डाटा की जांच वन विभाग द्वारा शुरू किये जाने की खबर है। वनरक्षक भर्ती के अंक इसी कंपनी के सॉफ्टवेयर से ही दर्ज किए गए थे। वन विभाग ने कैंडिडेट्स के अंकों का वेरिफकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें मैनुअल व ऑनलाइन अंकों के रिकॉर्ड का मिलान किया जा रहा है।

गड़बड़ी में नहीं हो पा रहा सुधार

उधर राजनांदगांव जिले में पुलिस अब भी टाइमिंग टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा गड़बड़ियों को दुरुस्त किये जाने के इन्तजार में है। दरअसल यहां डाटा के मिलान में खुलासा हुआ है कि इवेंट में जो डाटा फीड किया गया है, उसकी एंट्री में विरोधाभास है। जांच में पाया गया कि मैनुअल नंबर और कंपनी के नंबर में डिफरेंस है। एसपी मोहित गर्ग के मुताबिक तीन हजार से ज्‍यादा कैंडिडेट्स के अंकों की गलत तरीके से एंट्री करना पाया गया है। कंपनी ने सर्टिफिकेट दिया है कि वह सारी त्रुटियों को दुरुस्त करके देगी, मगर अब भी पूरा सुधार कार्य पूरा नहीं हो पाया है। मजे की बात यह है कि कंपनी ने जो भी सुधार कार्य करके दिये, उसमें भी खामियां निकल आयी हैं। इसके चलते अब पुलिस भी नाउम्मीद हो चली है। बावजूद इसके पुलिस अब भी कंपनी के भरोसे चल रही है, अगर गड़बड़ियां दुरुस्त हुईं तो ठीक अन्यथा यहां की भर्ती प्रक्रिया निरस्त की जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर प्रदेश भर में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

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