0 सड़क को लेकर सरपंच ने केंद्रीय मंत्री गडकरी से लगाई थी गुहार
0 नाराज अफसरों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरपंच को कर दिया था बर्खास्त

महासमुंद। एक ऐसी ग्राम पंचायत, जहां की सड़क के निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने उसे बजट में शामिल करते हुए ढाई करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिया, इसके बाद संबंधित विभाग ने सड़क निर्माण का टेंडर भी जारी कर दिया मगर साल भर बीत जाने के बावजूद इस सड़क को लेकर ऑर्डर अब तक जारी नहीं किया गया है। उलटे इसके लिए प्रयास कर रहे सरपंच को बर्खास्तगी तक झेलनी पड़ी। आलम यह है कि बारिश में यह गांव टापू बन जाता है और ग्रामीण परेशान रहते हैं।

हम बात कर रहे हैं महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत बमबूरडीह की, जहां के सरपंच शत्रुहन चेलक ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने भेंट मुलाकात के कार्यक्रम के दौरान बावनकेरा से रामाडबरी गांव तक सड़क निर्माण की घोषणा कर दी थी। इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए बजट में भी शामिल कर लिया गया। बाद में इस कार्य का 2 करोड़ 53 लाख 71 हजार रुपए का टेंडर भी जारी कर दिया गया। मगर सरकार के जाते ही अफसर इस कार्य को मानो भूल गए। अब तक इस टेंडर को ओपन नहीं किये जाने की बात सामने आ रही है।

 

गडकरी से लगाई गुहार

बावनकेरा से रामाडबरी, ग्राम पंचायत बमबूरडीह की सड़क के निर्माण के लिए गांव के सरपंच शत्रुहन चेलक ने जनपद पंचायत से जिला स्तर तक जिम्मेदार अफसरों से कई बार मुलाकात कर गुहार लगाई, मगर यह काम शुरू ही नहीं कराया गया। परेशान सरपंच ने गांव की सड़क नहीं बनने पर इसके लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से गुहार लगाने की योजना बनाई और दिल्ली पहुंच गया। यहां शत्रुहन चेलक अपने ज्ञापन को लेकर लोटते हुए गडकरी के निवास पर पहुंचा। यहां उसने गांव की सड़क की समस्या से अवगत कराते हुए ज्ञापन सौंपा और सड़क निर्माण के लिए पहल करने की गुहार लगाई।

अफसरों के गुस्से का हुए शिकार

दरअसल सरपंच को अपनी गांव की सड़क के निर्माण के लिए किये गए अनोखे प्रयास के चलते देशभर में प्रसिद्धि तो मिली मगर उसके इस कृत्य से अफसर नाराज हो गए। इसके बाद ऐन-केन-प्रकारेण सरपंच शत्रुहन चेलक के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उसे बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ सरपंच ने हाई कोर्ट की शरण ली और कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश पर स्टे लगा दिया। एक जानकारी यह भी सामने आ रही है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जिम्मेदार अफसर ने सरपंच को बहाल करने के आदेश में हीला-हवाला किया। आखिरकार जब सरपंच ने दोबारा कोर्ट जाने की चेतावनी दी तब जाकर उसे बहाल किया गया।

अब भी सड़क बनाने में रूचि नहीं

सरपंच शत्रुहन चेलक ने बताया कि इतना सब कुछ होने के बाद भी अफसर उस सड़क को बनाने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं जिसकी लड़ाई लड़ते हुए उसे बर्खास्त तक होना पड़ा। इस सड़क के लिए अब भी वह अफसरों के चक्कर काट रहा है।

पूर्व CM से लगाई गुहार

गांव की कीचड़ भरी सड़क को पक्का बनाने के लिए सारे प्रयास विफल होने के बाद सरपंच ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की, जिन्होंने इस सड़क के निर्माण की स्वीकृति दी थी। शत्रुहन ने पत्र लिखकर बघेल को बताया है कि महासमुंद जिले में बावनकेरा गांव से लगा हुआ ग्राम है बम्बूरडीह, रामाडबरी, जहां आने-जाने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। बरसात के समय में हमारा गांव टापू में तब्दील हो जाता है, सभी तरफ से पहुंच का संपर्क टूट जाता है। फण्ड स्वीकृत होने के बाद भी अफसर इस सड़क को बनाने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। सरपंच ने पूर्व CM बघेल से निवेदन किया है कि गांव की इस सड़क का मुद्दा आने वाले विधानसभा सत्र में उठाएं ताकि सरकार का ध्यान इस ओर जाये और सड़क का निर्माण हो सके।

निर्माण कार्यों को लेकर यह किसी एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि अनेक गांवों में इसी तरह की समस्या व्याप्त है। सच तो यह है कि अगर अफसरों ने रूचि दिखाई और जनप्रतिनिधि सत्ता पक्ष के हैं तब काम हो जाता है, अन्यथा सरपंच शत्रुहन चेलक की तरह लोगों को अपनी चप्पलें घीसनी पड़ती हैं।

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