उतई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत की महिला सरपंच को SDM के न्यायालय से बर्खास्त कर दिया गया था। यह मामला जनपद पंचायत पाटन के ग्राम पंचायत पतोरा का है, जहां की सरपंच अंजिता साहू को अनुविभागीय दंडाधिकारी पाटन लवकेश ध्रुव ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत हटा दिया था। अब कोर्ट ने इस बर्खास्तगी को गलत बताते हुए महिला सरपंच को पुनः बहाल करने का आदेश जारी कर दिया है। मजे की बात यह है कि प्रशासन ने महिला सरपंच को बर्खास्त करने के दो दिन बाद ही नए सरपंच का चुनाव करा लिया था।

चुनाव लड़ने के लिए कर दिया था प्रतिबंधित

पतोरा की सरपंच अंजिता साहू के ऊपर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत निर्मित फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट के आय व्यय में गड़बड़ी एवं गांव के जर्जर स्कूल के डिस्मेंटल के बाद सामग्रियों का स्टॉक पंजी नहीं बनाए जाने और विधिवत नीलाम नहीं कराए जाने का आरोप लगाते हुए उसे बर्खास्त करने का फैसला सुना दिया गया, साथ ही उसे 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित भी कर दिया गया था।

एसडीएम द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ सरपंच अंजिता गोपेश साहू ने उच्च न्यायालय बिलासपुर के याचिका दायर की थी जिस पर आज न्यायमूर्ति एन के चंद्रवंशी का द्वारा सुनवाई करते हुए पतोरा सरपंच अंजिता साहू के बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दिया गया।

हाई कोर्ट ने जशपुर जिले की सरपंच सोनम लकरा की बर्खास्तगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का भी जिक्र किया और कहा कि शिकायत की पूरी तरह पुष्टि न हो और अगर कोई बड़ा मामला न हो तो ऐसी स्थिति में महिला सरपंच को मौका दिए बिना तत्काल हटाना उचित नहीं है। कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया है कि सरपंच अंजिता अपने कार्यों के चलते राष्ट्रपति अवार्ड से भी पुरस्कृत है।

बर्खास्तगी के तत्काल बाद करा लिया सरपंच का चुनाव

दरअसल चर्चित ग्राम पंचायत पतोरा में महिला सरपंच को बर्खास्त करने के बाद प्रशासन को इतनी जल्दी थी कि कार्यवाही के दो दिन के भीतर ही कार्यवाहक सरपंच का चुनाव करा लिया गया, हालांकि इस चुनाव में भी हटाई गई सरपंच अंजिता साहू के समर्थकों की वोटिंग से से तनूजा साहू ने कार्यवाहक सरपंच का चुनाव जीता।

बीते 17 दिसंबर को कार्यवाहक सरपंच का चुनाव की प्रक्रिया पूरी कराई गई। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के बूथ प्रभारी पूरन साहू की पत्नी वार्ड 14 की पंच आरती साहू ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। वहीं दूसरे प्रत्यासी के रूप में वार्ड क्रमांक 4 की तनुजा साहू ने अपनी दावेदारी पेश की। तनूजा को कांग्रेस पार्टी का समर्थक बताया जाता है। इस दौरान गांव में बहुत ही गहमा गहमी का माहौल रहा, चुनाव में 18 पांचों ने वोट डाले। काउंटिंग के बाद परिणाम की घोषणा की गई अय्यर बताया गया कि आरती साहू को 04 मत मिले एवं तनुजा साहू को 14 मत मिले, तनुजा साहू 10 मतों से विजयी रहीं।

तत्काल चुनाव पर उठाया सवाल

दरअसल सरपंच अंजिता साहू को कांग्रेस पार्टी और इलाके के विधायक तथा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थक बताया जाता है।
उसे हटाए जाने के केवल दो दिन के भीतर ही कार्यवाहक सरपंच का चुनाव कराये जाने पर चुनाव अधिकारी के समक्ष पंचों ने सवाल उठाया और जमकर अपने गुस्से का इजहार किया। पंचों ने अधिकारियों से पूछा कि सरपंच के पद के लिए 2 दिनों में आदेश हो गया लेकिन वार्ड क्रमांक 9 के पंच के निधन के 12 महीने हो गए हैं, इसी तरह वार्ड क्रमांक 18 के पंच पुरेन्द्र जांगड़े ने अपने पद से 18 महीने पहले ही जनपद में अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन आज तक चुनाव क्यों नही हो पाया। पांचों ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव के चलते इस तरह का कृत्य किया जा रहा है।

आरोप साबित नहीं हुआ और कर दिया बर्खास्त

अंजिता साहू के अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता और केशव वर्मा ने इस मामले को लेकर बताया कि सरपंच के खिलाफ शिकायत की जांच में गड़बड़ी साबित नहीं हुई बावजूद इसके अंजिता को बर्खास्त कर दिया गया। वैसे भी इस मामले में SDM के कोर्ट में न तो शिकायतकर्ता का बयान लिया गया और न ही महिला सरपंच अंजिता साहू का। केशव वर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के हस्तक्षेप और दबाव के चलते बर्खास्तगी की यह कार्रवाई की गई, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती देने के बाद इस कार्रवाई पर स्टे मिल गया है। कोर्ट के फैसले के बाद अब कार्यवाहक सरपंच को हटाते हुए अंजिता साहू को दोबारा पदस्थ किया जायेगा वहीं उसके चुनाव लड़ने पर लगाया गया प्रतिबंध भी हटा दिया जायेगा।

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