0 दो उप-पंजीयकों को निलंबित करने का कलेक्टर ने भेजा प्रस्ताव

बिलासपुर। बिलासपुर जिले में हुए भूमि घोटाले की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। यहां एक और मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन ने कठोर कार्रवाई की है। राजस्व विभ्जाग की जांच में करोड़ों की नजूल भूमि का अवैध सौदा उजागर होने के बाद जिला प्रशासन ने लीज पट्टा निरस्त कर दिया है। जांच में सामने आया कि लीज धारक भूपेंद्र राव तामस्कर और बिल्डर राजेश अग्रवाल उर्फ राजू गर्ग ने मिलकर इस सरकारी भूमि को टुकड़ों में बेच दिया था। पुलिस ने इस मामले में अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसके बाद जीवन भर की पूंजी लगाकर जमीन खरीदने वालों में भी हड़कंप मच गया है।

लीज पर जमीन ली और टुकड़ों में बेचा..!

बिलासपुर शहर के कुदुदंड क्षेत्र में तुलजा भवानी मंदिर के पीछे स्थित दो एकड़ 13 डिसमिल जमीन भूपेंद्र राव तामस्कर को आवासीय प्रयोजन के लिए लीज पर दी गई थी। 2015 में लीज खत्म होने के बाद इसे 2045 तक बढ़ा दिया गया था। लेकिन लीज की शर्तों का उल्लंघन कर जमीन को बिना अनुमति और लेआउट पास किए 54 टुकड़ों में बेच दिया गया।

नवीनीकरण की शर्तों का हुआ उल्लंघन

कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर इस घोटाले की जांच के लिए संयुक्त कलेक्टर मनीष साहू की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम बनाई गई। जांच में पाया गया कि 30 साल के नवीनीकरण की शर्तों का उल्लंघन कर आवासीय जमीन को व्यावसायिक रूप से बेचा गया। कलेक्टर ने लीज धारक और पंजीयन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।

नियम को ताक पर रखकर की गई रजिस्ट्री

इस मामले में नजूल भूमि के 54 टुकड़ों की रजिस्ट्री बिना निरीक्षण और दस्तावेज सत्यापन के की गई। कलेक्टर ने तत्कालीन उप पंजीयकों लक्ष्मी पांडे और वीएस मिज को निलंबित करने का प्रस्ताव भेजा है।

जमीन खरीदने वाले हुए परेशान

नजूल भूमि के लीज निरस्त होने से 54 खरीददारों की करोड़ों की संपत्ति शासन के खाते में चली गई। अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर जमीन खरीदने वाले अब न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे हैं।

उधर जिला प्रशासन इस भूमि का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार कर रहा है। यहां गार्डन, शासकीय कार्यालय या अन्य सार्वजनिक उपयोग की संभावना पर विचार किया जा रहा है।

गौरतलब है कि बिलासपुर जिले में बीते एक दशक में बिल्डरों, दलालों की राजस्व अमले की साथ मिलीभगत से जमीनों की बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी की गई है। राज्य शासन के आदेश के बाद इनकी जांच की प्रक्रिया जारी है। जो भी मामले उजागर हो रहे हैं, उनमें दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी चल रही है। हालांकि तब इन घोटालेबाजों को जिन राजनेताओं का संरक्षण मिला उन पर जरा सी भी जांच की आंच नहीं आ रही है। हां, न्यायधानी से लेकर राजधानी तक उनके नाम के चर्चे जरूर हैं।

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