रायपुर। छत्तीसगढ़ में खदानों से मिलने वाली DMF की राशि के दुरूपयोग की खबरें यदा-कदा मिलती रहती हैं। इस बार सत्ता पक्ष के नेते और पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने छत्तीसगढ़ में DMF में 10 हजार करोड़ से भी अधिक के घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक डीएमएफ वाले कोरबा और दंतेवाड़ा में सीएसआर मद में भी बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। कंवर ने मौजूदा कलेक्टर पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।
कंवर ने राजधानी में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि प्रदेश में डीएमएफ के मद की कार्यों में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि जब से डीएमएफ की शुरूआत हुई है, तब से अब तक कोरबा-दंतेवाड़ा और प्रदेश के सभी जिलों के कार्यों की जांच सीबीआई-ईडी के जरिए कराने के लिए पूर्व में भी उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। इसके बाद जांच-पड़ताल और कार्रवाई भी हुई है।
अंडर ब्रिज का काम DMF से कराना नियम विरुद्ध
ननकी राम कंवर ने कोरबा में ताजा भ्रष्टाचार के प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि सोनालिया पुल में अण्डरब्रीज के कार्य चल रहा है। कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत के द्वारा डी.एम.एफ. की राशि दुरूपयोग करते हुए लिए लगभग 80 करोड़ स्वीकृत किये गए हैं, जबकि नियमानुसार डीएमएफ से यह काम नहीं हो सकता। मजे की बात यह है कि इस निर्माण कार्य के प्रभावितों को मुआवजा भी DMF से ही दिया जा रहा है। कंवर ने मौजूदा कलेक्टर पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार करने के लिए ही DMF मद से यह काम कराया जा रहा है।
‘पूर्व कलेक्टरों ने भी किया घोटाला’
कंवर ने पूर्ववर्ती कलेक्टरों पर भी आरोप लगाए, और कहा कि पद का दुरूपयोग कर कई सौ करोड़ घोटाला किया गया। कंवर ने कहा कि कमीशनखोरी (भ्रष्टाचार) करने के लिए अपने मनमर्जी से कार्य स्वीकृत कर सामग्री सप्लाई, प्रशिक्षण, स्ट्रीट लाईट, महिला समितियों को प्राप्त सामग्री, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग, उद्यान विभाग में स्तरहीन निर्माण और, स्तरहीन सप्लाई बाजार दर से अधिक दर पर कार्य किया गया है। यह करीब 5 सौ करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार है। इसकी शिकायत भी की गई है।
सिपेट को भेजा गया 25 करोड़ आज तक नहीं मिला..?
कंवर ने अपनी शिकायत में लिखा है कि कोरबा कलेक्टर के द्वारा डी.एम.एफ. की राशि में से सिपेट रायपुर को दिनांक 18. 09.2018 को 25 करोड़ रूपये हस्तांतरित किया गया है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि डी.एम.एफ. की राशि का हस्तांतरण किसी अन्य जिले में अन्य कार्य के लिये नहीं किया जा सकता परंतु तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा अपने पदका दुरूपयोग करते हुए 25 करोड़ सिपेट को भेजा गया, मगर सिपेट, रायपुर से सूचना के अधिकार में पूछने पर बताया गया कि दिनांक 01.04.2018 से 31.03.2019 तक सिपेट रायपुर को डी.एम.एफ. कोरबा से कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। इस मामले की जांच की जानी चाहिए।
कोयला मंत्री से की शिकायत
पूर्व गृह मंत्री ने पूर्व में भी DMF के हो रहे दुरूपयोग की शिकायत की है। पिछले दिनों उन्होंने केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी से भी मुलाकात की और DMF में व्याप्त भ्रष्टाचार के साथ ही CSR के फंड के दुरूपयोग की भी शिकायत की है। उन्होंने जनता के पैसे के दुरूपयोग की CBI जांच की मांग की है। इसके अलावा SECL के भूविस्थापितों को रोजगार और मुआवजे को लेकर भी शिकायत की है। कंवर ने बताया कि कोरबा में एसईसीएल की खदानें दीपिका, कुसमुंडा, गेवरा एवं अन्य जगहों पर हैं, जहां ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की गई है लेकिन पात्र भूविस्थापितों को मुआवजा-व्यवस्थापन व नौकरी नहीं दी गई है। इसके निराकरण का अनुरोध भी उन्होंने किया है।
बताते चलें कि कोरबा जिले में हुए हजारों करोड़ के DMF घोटाले में पूर्व कलेक्टर रानू साहू के आलावा सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास माया वारियर और एक व्यवसायी जेल की हवा खा रहे हैं। ED द्वारा इस मामले की जाँच की गई है, मगर यहां पदस्थ रहे अन्य कलेक्टरों द्वारा किये गए घोटालों पर इस केंद्रीय एजेंसी द्वार कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। सत्ता पक्ष के नेता और पूर्व गृह मंत्री द्वारा की गई इस शिकायत के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्य या फिर केंद्र की एजेंसी के जरिये घोटालों की जांच के आदेश सरकार द्वारा दिए जा सकते हैं।