SOCIAL MEDIA BAN : ऑस्ट्रेलियाई संसद के ऊपरी सदन (सीनेट) ने छोटे बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक पारित कर दिया है। यह जल्द ही दुनिया में अपनी तरह का कानून बन जाएगा।
अभिभावकों पर लग सकता है भारी-भरकम जुर्माना
इस नए कानून के मुताबिक 16 साल से कम उम्र के बच्चे टिकटॉक, फेसबुक, स्नैपचैट, रेडिट, एक्स और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर खाते नहीं बना पाएंगे। अभिभावकों को अपने बच्चों को सोशल मीडिया मंचों पर खाता बनाने से रोकना होगा। अगर वे बच्चों को खाता बनाने से रोकने के लिए उपाय नहीं करते हैं, तो उन्हें 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना देना पड़ेगा।
निचले सदन में पहले ही पारित हो चुका विधेयक
निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स) ने बुधवार को इस विधेयक को भारी बहुमत से पारित किया था। हालांकि, हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स को सीनेट में किए गए संशोधनों (बदलावों) को मंजूरी देनी बाकी है। लेकिन यह केवल एक औपचारिकता है, क्योंकि सरकार पहले ही मान चुकी है कि ये संशोधन पारित हो जाएंगे।
बच्चों के खाते हटाने होंगे सोशल मीडिया कंपनियों को
यह कानून सोशल मीडिया कंपनियों को मजबूर करेगा कि वह 16 साल से कम उम्र के बच्चों के खातों को हटाएं। इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण संसोधन किए गए हैं, जिनमें यह सुनिश्चित किया गया है कि सोशल मीडिया कंपनियां यूजर्स से पासपोर्ट या ड्राइवर लाइसेंस जैसे सरकारी दस्तावेजों की मांग नहीं कर सकेंगे और न हीं डिजिटल पहचान के लिए सरकारी प्रणाली का इस्तेमाल कर सकेंगे।
कई दलों ने जताई विधेयक पर चिंता
इस विधेयक पर कई पार्टियों ने चिंता भी जताई है। ग्रीन्स पार्टी के सदस्य सेन डेविड शूब्रिज ने कहा, ‘मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध उन बच्चों को खतरनाक रूप से अकेला कर सकता है, जो समर्थन पाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह नीति खासकर ग्रामीण इलाकों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।’
‘हमेशा मुनाफे के पीछे भागती रहीं सोशल मीडिया कंपनियां’
विपक्षी नेता सेन मारिया कोवाचिक ने कहा, यह विधेयक जरूरी है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि सोशल मीडिया कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि वे बच्चों के खातों को पहचानें और हटा दें। यह जिम्मेदारी उन्हें पहले से निभानी चाहिए थी। लेकिन वे हमेशा मुनाफे के पीछे भागते रहे हैं।
‘ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए ऐतिहासिक कदम’
ऑनलाइन सुरक्षा के लिए अभियान चलाने वाली सोन्या रायन ने इस विधेयक को लेकर कहा, यह हमारे बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। हालांकि, मेरी बेटी के लिए इसमें काफी देरी हो चुकी है। लेकिन हम सब इस बदलाव को एक साथ स्वीकार करें। कई आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक जल्दबाजी में पारित किया गया है और इससे बच्चे सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं से वंचित रह सकते हैं।
कई आलोचकों ने कहा कि इस कानून को लागू करने में मुश्किल आ सकती है। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार इस पर एक और अध्ययन करेगी, जो यह बताएगा कि बच्चों को कैसे सही तरीके से सोशल मीडिया से बाहर रखा जा सकता है।