रायपुर। राजधानी रायपुर में 4 साल के बच्चे को जिंदा जलाने वाले शख्स को कोर्ट ने ढाई साल बाद फांसी की सजा सुनाई है। आरोपी पंचराम ने उरला इलाके में अप्रैल 2022 की सुबह मासूम पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी। दोषी पंचराम को कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है।
केस में पहले ही यह खुलासा हुआ था कि, वारदात को अंजाम देने वाला पंचराम बच्चे की मां से प्यार करता था। मां को हासिल करना चाहता था। इसी मकसद से बच्चे को रास्ते से हटाने के लिए उसने 4 साल के हर्ष को किडनैप किया। घर से दूर ले गया और जिंदा जलाकर भाग गया। जिसके बाद उसने बच्चे को बेमेतरा शमशान जिन्दा जला दिया था।
पुलिस ने पंचराम को पकड़ा तो बच्चे की हत्या और उसकी मां से प्यार की बातें सामने आईं। पता चला कि, दोषी पंचराम बच्चे की मां से एक तरफा प्यार करता था। हर्ष की मां उससे बातचीत भी नहीं करती थी। बच्चे की मां को सबक सिखाने के लिए उसने बच्चे को मार दिया।
कोर्ट की ओर से वारदात के ढाई साल के अंदर फांसी की सजा का फैसला सुनाया गया है। वहीं रायपुर में 46 साल बाद किसी दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
जानिए क्या है पूरा मामला
उरला इलाके से 5 अप्रैल 2022 की सुबह हर्ष नाम के 4 साल के बच्चे का किडनैप हुआ था। पड़ोस में रहने वाले पंचराम ने ही उसका अपहरण किया था। हर्ष और उसके माता-पिता उरला में पूर्व पार्षद अशोक बघेल के मकान में किराए से रहते थे। आरोपी पंचराम भी वहीं किराए पर अपनी मां के साथ अकेला रहता था। कुछ साल पहले उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया था। पंचराम, जयेंद्र के बच्चों के साथ घुल-मिल गया था और हर्ष को अपनी बाइक में घुमाया करता था। जब अपहरण के इरादे से पंचराम उसे ले गया तो किसी ने इस दिशा में नहीं सोचा।
बेमेतरा के श्मशान में जलाया
हर्ष और पंचराम देर शाम तक घर नहीं लौटे तो थाने में शिकायत की गई। पुलिस के ढूंढने के दौरान हर्ष की जली हुई लाश मिली।
हर्ष को ले जाने के बाद पंचराम ने अपनी मां को किसी दूसरे फोन नंबर से फोन किया था। जब उस नंबर पर बात की गई तो पता चला कि भिलाई में पंचराम ने अपनी बाइक 15 हजार में एक शख्स को बेच दी है। वह नंबर उसी ऑटो डीलर का था। इस बात की जानकारी परिजन ने पुलिस को दी और फिर पुलिस ने पंचराम को नागपुर से पकड़ लिया।
पुलिस की पूछताछ में खुलासा
पुलिस ने जब पंचराम को गिरफ्तार किया, तो बच्चे की हत्या और आरोपी के उसकी मां से प्यार के बारे में कई अहम बातें सामने आईं। यह पता चला कि पंचराम बच्चे की मां से एकतरफा प्रेम करता था, जबकि हर्ष की मां उससे बात भी नहीं करती थी। आरोपी ने महिला को सबक सिखाने के लिए बच्चे की हत्या कर दी।
46 साल बाद फांसी की सजा
कोर्ट ने ढाई साल के भीतर इस जघन्य अपराध पर फांसी की सजा सुनाई है। वहीं, रायपुर में 46 साल बाद किसी दोषी को फांसी की सजा दी गई है। इससे पहले 25 अक्टूबर 1978 को रायपुर सेंट्रल जेल में बैजू नामक कैदी को फांसी दी गई थी, जिस पर आरोप था कि उसने 2 हजार रुपए के लिए चार लोगों की हत्या की थी।