रायपुर। दीपावली की रात गौरी गौरा के पूजन की परंपरा है। दीवाली की आधी रात को गौरी गौरा की प्रतिमा स्थापित करके पूजा की शुरुआत की गई, जो अगले दिन तक चली। पूजा के खत्म होने के बाद दिन भर प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया गया। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक गाड़ा बाज़ा की धुन पर जसगीत गाते श्रद्धालु विसर्जन के लिए तालाब लेकर गए।
गौरा–गौरी याने शंकर–पार्वती। छत्तीसगढ़ में गौरा-गौरी पूजा के मौके पर सोंटा खाने की परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान आम लोगों के साथ ही नेताओं में भी सोंटा खाने की होड़ रहती है। हर वर्ष की तरह इस बार भी पूर्व सीएम भूपेश बघेल सोंटा लेते नजर आए। वहीं रायपुर दक्षिण विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा भी चुनाव प्रचार के बीच सोंटा का वार सहते दिखे।
किस तरह होती है सोंटा मारने की परंपरा?
पैरे से बनी रस्सी या हंटर जिसे सोंटा कहा जाता है। इसे एक आदमी दूसरे के हाथ पर प्रहार करता है। सोंटा मारने की परंपरा छत्तीसगढ़ के हर गांव और शहरी इलाके के मोहल्ले में गौरा-गौरी पूजा के दौरान की जाती है। थोड़ा दर्द सहकर ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट किया जाता है। इस परंपरा से अनिष्ट की आशंका टल जाती है।
भूपेश बघेल बताते हैं कि यह परंपरा सबकी खुशहाली के लिए निभाई जाती है। इससे अपनों के बीच कोई मलाल रहता है, तो वो भी दूर हो जाता है। कोई कितना भी बड़ा आदमी हो जाए। गौरा-गौरी के सामने सब बराबर हैं।