बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने IPS अधिकारी जीपी सिंह को बड़ी राहत दी है। आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग मामले में दर्ज तीनों FIR को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि, उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामलों में फंसाया गया है। किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
भूपेश बघेल के शासनकाल में हुई थी कार्रवाई
IPS जीपी सिंह के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के दौरान कार्रवाई की गई थी। 1994 बैच के IPS अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ 2021 में ACB ने सरकारी आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी कर 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज़ बरामद का दावा किया गया था।
सरकार गिराने की साजिश का लगाया आरोप
जीपी सिंह पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप था। जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित किया गया और कुछ दिनों बाद राजद्रोह का केस दर्ज हुआ। इसके अलावा 2015 में दुर्ग निवासी बिजनसमैन कमल सेन और बिल्डर सिंघानिया के बीच व्यवसायिक लेन-देन को लेकर विवाद हुआ था। इस दौरान सिंघानिया ने सेन के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। जीपी सिंह 120 दिन रायपुर सेंट्रल जेल में रहे।
बहाली को पहले ही मिल चुकी है हरी झंडी
आपको बता दें कि कैट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने आईपीएस जीपी सिंह की बहाली की अपनी तरफ से हरी झंडी पहले ही दे दी है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता से इस बारे में उनकी राय मांगी थी। बताते हैं, महाधिवक्ता ने अपनी टीप में लिखा है कि, इस केस में कैट के फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई तुक नहीं है। महाधिवक्ता की टिप्पणी के साथ राज्य सरकार ने फाइल पिछले सप्ताह भारत सरकार को भेज दिया। चूकि, आईपीएस का मसला मिनिस्ट्री ऑफ होम में आता है और इसी ने फोर्सली रिटायमेंट की कार्रवाई की थी। सो, पोस्टिंग का आदेश भी यही विभाग निकालेगा।