बिलासपुर। जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स ने नौकरी दिलाने के नाम पर अपने ही परिचितों से लाखों रुपए की ठगी की। अपने साथी का मंत्रालय में पहचान होना बता ठगी को अंजाम देने वाली महिला स्टाफ नर्स को जिला अस्पताल से ही ड्यूटी के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया गया। मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है।

पति-पत्नी को दिया नौकरी लगाने का झांसा

राजकिशोर नगर पाटलीपुत्र सरकंडा निवासी शरद चंद्र वर्मा ने सरकंड़ा पुलिस को बताया कि 2022 में जिला अस्पताल में पदस्थ मंजू पाटले और उसके साथ सतीश कुमार सोनवानी उर्फ आर्यन से जान पहचान हुई थी। दोनों ने उसे और उसकी पत्नी को सरकारी नौकरी दिलवाने का भरोसा दिलाया। दोनों ने सरकारी मंत्रालय में नौकरी दिलाने के लिए उन्हें लगातार फोन किए और आखिरकार 15 दिसंबर 2022 को पीड़ित को सतीष कुमार सोनवानी से मिलवाया।

सतीश ने खुद को मंत्रालय का अधिकारी बताया और नौकरी का आश्वासन दिया। इसके बाद, नौकरी के नाम पर पीड़ित और उसकी पत्नी ने 4.59 लाख रुपए की राशि कई किस्तों में इन दोनों आरोपियों को दिए। आरोपी यह आश्वासन देते रहे कि नौकरी जल्दी ही मिल जाएगी और पैसे वापस भी कर दिए जाएंगे। लेकिन जब नौकरी नहीं लगी और पैसे वापस मांगने पर आरोपी जानबूझकर टाल-मटोल करने लगे, तो पीड़ित ने मामले की शिकायत सरकंडा थाने में दर्ज कराई। धोखाधड़ी, धमकी और पैसों की ठगी काम मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने नर्स को जिला अस्पताल से ही गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

सहकर्मी से ठगे थे 8 लाख रूपए

जिला अस्पताल में पदस्थ स्टॉफ नर्स मंजू पाटले इससे पहले भी कई लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देते हुए रूपए की ठगी कर चुकी है। कुछ दिनों पहले उसने अपने साथी स्टॉफ नर्स किरण बघेस से भी उसके रिश्तेदार को नौकरी दिलाने के नाम पर 8 लाख रूपए की ठगी की थी। किरण ने भी उसके खिलाफ तारबाहर थाने में 5 सितंबर 2024 को स्टॉफ नर्स मंजू पाटले के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। लेकिन इस मामले में मंजू 17 दिनों तक फरार रहने के बाद अग्रिम जमानत लेकर फिर से अस्पताल में ड्यूटी कर रही थी। इसबार पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के साथ उसे ड्यूटी के दौरान अस्पताल से ही गिरफ्तार कर लिया है।

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