Mahadev Satta App: महादेव बुक सट्टा ऐप के मुख्य संचालक सौरभ चंद्राकर को हिरासत में लिए जाने के बाद इस गिरोह में शामिल लोगों की हिस्सेदारी का खुलासा हो रहा है। पता चला है कि सौरभ चंद्राकर के पास इस ऑनलाइन सट्टा के कारोबार में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि उसके सहयोगी रवि उप्पल की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इनके अलावा शुभम सोनी का 10 प्रतिशत हिस्सा बताया जा रहा है, जबकि रायगढ़ के व्यवसायी अनिल अग्रवाल (उर्फ अतुल अग्रवाल) की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है। इस मामले में अब तक 70 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और 300 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं।
अब तक ये हो चुके हैं गिरफ्तार
सट्टे के इस कारोबार में पैसे के हवाले और पैनल बांटने वालों की गिरफ्तारी के साथ, कई प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, चंद्रभूषण वर्मा, असीम दास, नितीश दीवान, भीम सिंह, और अर्जुन यादव शामिल हैं।
FIR में पूर्व मुख्यमंत्री का नाम भी शामिल
छत्तीसगढ़ में पुलिस के बाद, मामले की जांच ईडी ने शुरू की। हाल ही में ईओडब्ल्यू ने महादेव सट्टा ऐप में 19 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी नाम शामिल है। इस मामले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है।
दर्ज एफआईआर में सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, शुभम सोनी (उर्फ पिंटू), चंद्रभूषण वर्मा, असीम दास, संतोष चंद्राकर, भूपेश बघेल, नितीश दीवान, अनिल कुमार अग्रवाल, रोहित गुलाटी, विशाल आहुजा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, भीम सिंह यादव, हरीशंकर टिबरेवाल और सुरेंद्र बागड़ी का नाम शामिल है।
नितीश का सौरभ के साथ पुराना संबंध
नितीश दीवान, जो रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है, पहले सौरभ चंद्राकर का रूम पार्टनर था। प्रारंभ में उनके बीच करीबी संबंध थे, लेकिन जैसे-जैसे सौरभ का काम बढ़ा, उन्होंने नितीश से दूरी बना ली।
सौरभ को है जुआ खेलने का शौक
सूत्रों के अनुसार, सौरभ ने महादेव सट्टा ऐप से काफी मुनाफा कमाया। रोजाना 200 करोड़ रुपये का कारोबार होता था, लेकिन बाद में उसने खुद भी जुआ खेलना शुरू किया और काफी पैसे भी गंवाए।
चुनाव से पहले पूर्व सीएम का नाम आया सामने
बता दें कि ईडी ने नवंबर 2023 में एक कथित कैश कूरियर असीम दास को गिरफ्तार किया था, जिसके पास से करोड़ों की नकद राशि बरामद हुई थी, जो दुबई से रायपुर लाई जा रही थी। शुभम सोनी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर 508 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आरोप लगाया था। चुनाव से पहले ईडी ने आरोप लगाया था कि महादेव एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने भूपेश बघेल को रिश्वत दी थी, और यह आरोप भाजपा द्वारा कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए भी इस्तेमाल किया गया था।