रायपुर। पिछले दिनों राजस्व मंत्रालय ने ऐसे तहसीलदारों का भी ट्रांसफर कर दिया, जिन्हें पदस्थ हुए 3 वर्ष नहीं हुए थे, साथ ही परिवीक्षा अवधि गुजार रहे अधिकारियों को भी मनमाने तरीके से तबादले पर भेज दिया गया। ऐसे ही लगभग 20 तबादलों पर हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। शासन को इस तरह का झटका दिए जाने के बावजूद अब भी इसी तरह नियम विरुद्ध कार्य किए जा रहे हैं।

जानें क्या है मामला..?

गरियाबंद जिले के वि.ख. छुरा के लोहझर स्थित शासकीय नवीन हाईस्कूल में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसका खुलासा तब हुआ जब प्राचार्य ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए जिला शिक्षा अधिकारी से मार्गदर्शन मांगा।

परिवीक्षा अवधि पर रहते हुए प्रतिनियुक्ति पर मांगा मार्गदर्शन

शासकीय नवीन हाईस्कूल, लोहझर, वि.ख. छुरा ज़िला गरियाबंद के प्राचार्य ने ज़िला शिक्षा अधिकारी, से व्याख्याता अलका जैन को कार्यमुक्त करने के संबंध में मार्गदर्शन मांगा है। प्राचार्य ने पत्र में उल्लेख किया है कि अलका जैन व्याख्याता, टी संवर्ग, विषय विज्ञान, शासकीय नवीन हाईस्कूल लोहझर ने 02/05/2022 मे शासकीय नवीन हाईस्कूल लोहझर वि.ख. छुरा ज़िला गरियाबंद में पदभार ग्रहण किया है, और वे अभी तीन साल के परिवीक्षावधी पर है। प्राचार्य ने लिखा है कि व्याख्याता अलका जैन को छ. ग. शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर के पत्र क्रमांक/ एफ1-53/2024/20 चार नवा रायपुर 03/10/2024 को छ ग. माध्यमिक शिक्षा मंडल मे प्रतिनुक्ति हेतु आदेश जारी किया गया है, जबकि ऐसा करने के पूर्व न तो किसी पत्र द्वारा विधिवत तरीके से छ ग. माध्यमिक शिक्षा मंडल से अभिमत पूछा गया है और न ही स्कूल / संस्था के प्राचार्य से कोई जानकारी ली गई है।

बताया जा रहा है कि व्याख्याता अलका जैन के मामले में विधिवत तरीके का पालन ही नहीं किया गया है, यही वजह है कि प्राचार्य ने व्याख्याता अलका जैन के माध्यमिक शिक्षा मंडल में प्रतिनियुक्ति पर सवाल उठाते हुए उन्हें कार्यमुक्त (रिलीव) नही किया है और इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी गरियाबंद को पत्र लिखकर इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है।

मुख्यमंत्री के अधीन है शिक्षा विभाग

बता दें कि शिक्षा विभाग में अभी तक परिवीक्षा अवधि पर रहते हुए स्थानातंरण/ प्रतिनियुक्ति का कोई भी प्रकरण सामने नहीं आया है, यह गंभीर विषय है, क्योंकि अभी शिक्षा विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है, सरकार बने लगभग 9 माह हो गये हैं और शिक्षा विभाग मे बहुत की कम तबादले हुए हैं, ऐसे में सभी की नजर शिक्षा विभाग पर है। कार्यकर्ता से लेकर मंत्री तक चाहते हैं कि जल्द से जल्द ट्रांसफर पर बैन हटे।

ऐसे में अगर नियमविरुद्ध तरीके से तबादले और प्रतिनियुक्ति होंगे, तो सवाल उठना लाजिमी है। बहरहाल अगर इस मामले ने तूल पकड़ा और यह प्रकरण कोर्ट पहुंच गया तो उच्चाधिकारियों के ऐसे कृत्य पर कोर्ट एक झटके से स्टे लगा देगा। मुख्यमंत्री के अधीन संचालित विभाग में अगर ऐसा हुआ तो किसकी किरकिरी होगी, यह अच्छी तरह समझा जा सकता है।

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